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पर्यावरण वार्ता (अंक 4 )

पर्यावरण को ले कर हमारी सजगता प्राचीन समय से ही है। इसकी प्राथमिक समझ तो हमारी प्राचीन पुस्तकें ही करा देती हैं जहाँ वे शरीर को जिन पाँच तत्वों की समिष्टि बताती हैं अर्थात धरती, जल, अग्नि, आकाश तथा वायु; वस्तुत: ये सभी तत्व सम्मिलित रूप से पर्यावरण शब्द की सही परिभाषा निर्मित करते हैं और यह भी बताते हैं कि शरीर की कोशिका जैसे सूक्ष्म तत्व से ले कर अंतरिक्ष की विराटता तक सब कुछ पर्यावरण शब्द के भीतर समिष्ठ हो जाता है। अथर्ववेद मे कहा गया है कि भूमि हमारी माता है। हम पृथ्वी के पुत्र हैं। मेघ हमारे पिता हैं, वे हमें पवित्र करते हुए पुष्ट करें -  मात्य भूमि पुत्रो अहम पृथिव्या। पर्जन्य पिता स उ ना पिपर्तुम। ऋग्वेद में ही उल्लेख है कि पृथ्वी, अंतरिक्ष एवं द्युलोक अखंडित तथा अविनाशी हैं। जगत का उत्पादक परमात्मा एवं उसके द्वारा उत्पन्न यह जीव जगत भी कभी नष्ट न होने वाला है। विश्व की समस्त देवशक्तियाँ अविनाशी हैं। पाँच तत्वों से निर्मित यह सृष्टि अविनाशी है। जो कुछ उत्पन्न हो चुका है अथवा जो कुछ उत्पन्न होने वाला है वह भी अपने कारण रूप से कभी नष्ट नहीं होता है - अदितिधौर्रदितिर न्तरिक्षमदितिर्माता स पिता स पुत्र:। विश्वे ...

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 |    May 20, 2019

बच्चों के नन्हे प्रयास और पर्यावरण संरक्षण

  Photo Source = https://www.123rf.com/photo_74350708_stock-vector-set-of-cute-kids-volunteers-save-earth-waste-recycling-girls-planted-and-watering-young-trees-kids-g.html   पर्यावरण ऊर्जा टाइम्स  (अंक जुलाई - 2018) में प्रकाशित     हर वर्ष 5 जून को संयुक्त राष्ट्र की अगुवाई में विश्व पर्यावरण दिवस का आयोजन किया जाता है। वर्ष 2018 के आयोजन का विषय था – बीट प्लास्टिक पॉल्यूशन अर्थात प्लास्टिक प्रदूषण को परास्त करें। यह विश्व पर्यावरण दिवस और भी खास रहा क्योंकि आयोजन की मेजबानी भारत देश ने की। वर्ष 1972 में स्टॉकहोम सम्मेलन के पहले दिन संयुक्त राष्ट्र द्वारा विश्व पर्यावरण दिवस मनाये जाने की घोषणा हुई एवं इसके दो वर्षों के बाद वर्ष 1974 में पहली बार “केवल एक धरती” विषय वस्तु पर केंद्रित विश्व पर्यावरण दिवस मनाया गया। तब से इन चवालिस वर्षों में निरन्तर विभिन्न विषयवस्तुओं पर केंद्रित आयोजनों के द्वारा पृथ्वी को बचाने की मुहिम चल रही है।  विश्व पर्यावरण दिवस अब जन जागरूकता कार्यक्रम के रूप में विश्वव्यापी स्वरूप ले चुका है।   पर्यावरण संवर्धन की दिशा में अब सचेत होने की हमारी बाध्यता का प्राथमिक कारण है जलवायु परिवर्त्तन के अपेक्षित दुष्परिणामों का परिलक्षित होना। जो द़ृश्य लगभग दो-तीन  दशकों पहले हौलीवुड की फिल्मो में नज़र आते थे, अब रोज़ ही विश्व के किसी ना किसी कोने में साक्षात हो रहे हैं। असाधारण गर्मी, असाधारण ...

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 |    May 20, 2019

पार्बती-III पावर स्टेशन के सिउण्ड स्थित बांध क्षेत्र में छोड़े गए 12000 ब्राउन ट्राउट्

एनएचपीसी ने पार्बती-III पावर स्टेशन के मत्स्य विकास प्रबंधन योजना के अंतर्गत  एक करोड़ 30 लाख रुपए की लागत से हिमाचल राजकीय मत्स्य विभाग के माध्यम से एक ट्राउट् फिश फार्म तीर्थन नदी पर बंजार तहसील के हमनी नामक स्थान पर विकसित किया है। यह ट्राउट् फिश फार्म ब्राउन ट्राउट् और रेनबो ट्राउट् दोनों प्रकार की फिश के फिन्गेरलिंग (fingerling) विकसित करने के उद्देश्य से बनाया गया है। इस फिश फार्म में दोनों प्रकार की ट्राउट् फिश विकसित कर तीर्थन और सेंज नदी में डालने की व्यवस्था हिमाचल राजकीय मत्स्य विभाग द्वारा की जाती है।   पार्बती-III पावर स्टेशन के सिउण्ड स्थित बांध क्षेत्र में दिनांक 10.04.2019 को ब्राउन ट्राउट् फिश के 12000 सीड (फ्राई साइज़) छोड़े गए । एक से डेढ़ ग्राम के फ्राई साइज़ सीड हिमाचल प्रदेश मतस्य विभाग द्वारा बरोट स्थित ट्राउट् फिश फार्म से लाये गए थे। इस कदम से बांध क्षेत्र के अपस्ट्रीम में मतस्य पालन को बहुत प्रोत्साहन मिलेगा तथा यह प्राकृतिक संतुलन में बहुत ही उपयोगी सिद्ध होगा।        

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 |    May 20, 2019

पर्यावरण शब्दकोष (2)

Photograph Source: https://www.thechildrensbookreview.com/weblog/2019/05/5-kids-books-that-celebrate-the-change-of-seasons.html   क्र. सं. शब्द अर्थ 1 अर्थ ऑवर (Earth Hour) प्रतिवर्ष मार्च महीने के अंतिम शनिवार को अर्थ ऑवर मनाया जाता है । इस समय पृथ्वी के दोनों गोलार्द्धों में दिन और रात लगभग बराबर होते हैं जिसके कारण पूरी दुनिया में एक जैसा दृश्यात्मक प्रभाव होता है ।यह एक विश्व स्तरीय अभियान है जिसमें ऊर्जा की बचत हेतु दुनिया भर के लोग एक घंटे तक बिजली बंद रखते हैं। प्रतिवर्ष मार्च महीने के अंतिम शनिवार को साढ़े आठ से साढ़े नौ बजे तक बिजली बंद रखी जाती है । सरकारी, गैर सरकारी संगठनों के अलावा लोग व्यक्तिगत तौर पर भी इस अभियान का हिस्सा बनते हैं । सिडनी के लोगों ने सब से पहले सन 2007 में अर्थ ऑवर अभियान के तहत ऊर्जा संरक्षण के लिए इसकी शुरुआत की थी ।वर्ल्ड वाइड फण्ड फॉर नेचर(WWF) और अन्य स्वयंसेवी संगठनों द्वारा समन्वित, अर्थ आवर की सबसे बड़ी ताकत लोगों की शक्ति है। अर्थ ऑवर लोगों के लिए जलवायु परिवर्तन पर कार्रवाही करने के लिए दुनिया का सबसे बड़ा जमीनी स्तर का आंदोलन है।इसके द्वारा पर्यावरण सुरक्षा तथा जलवायु परिवर्तन को नियंत्रित करने के प्रति प्रतिबद्धता प्रकट की जाती है ।   2 अल्ट्रावायलेट रेडिएशन (Ultraviolet Radiation) अल्ट्रावायलेट रेडिएशन/पराबैंगनी ...

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 |    May 20, 2019

PHOTOGRAPH OF THE WEEK

उपरोक्त तस्वीर एनएचपीसी के तीस्ता लो डैम-III एवं IV परियोजनाओं के अंतरगर्त स्थापित ऑर्किडेरियम (Orchidarium) एवं वनस्‍पतिशाला (Arboretum) में पुन : स्थापित किए गए जंगली ऑर्किडस में से एक ऑर्किड नामत: Ascocentrum ampullaceum (Roxb.) Scltr. की है। यह ऑर्किडेरियम / वनस्‍पतिशाला वन्यजीव/जैव विविधता संरक्षण योजना के अंतर्गत ‘रियांग, दार्जलिंग जिला, पश्चिमी बंगाल’ में दार्जिलिंग वन विभाग एवं नॉर्थ बंगाल विश्व विद्यालय के माध्यम से विकसित किया गया है । इस प्रजाति की मुख्य भूमि एशिया क्रमश: पूर्व में असम, नेपाल और भूटान के मध्य से, उत्तरी हिमालय के पार बर्मा (म्यांमार) से चीन और लाओस तक है। यह प्रजाति दक्षिण में थाईलैंड तक फैली हुई है और अंडमान द्वीप समूह में भी रिपोर्ट की गयी है । इस आर्किड में समृद्ध फूलों की विशेषताएं हैं और यही कारण है कि यह अविचारपूर्वक अंधाधुंध एकत्र किया जाता है। अत: इस खूबसूरत आर्किड के अस्तित्व के लिए, संरक्षण कार्य करना आवश्यक है।

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 |    May 20, 2019

Implementation of Fish Management Plan in TLD-III (132 MW) and TLD-IV (160 MW) Power Stations, West Bengal

River Ranching in river Teesta for TLD-III & TLD-IV Power Stations under Fish Management Plan   To facilitate unhindered upstream fish migration over the barrage structures, fish ladders are provided at TLD-III and TLD-IV Power Stations. The fish ladder was constructed across the barrage of TLD-IIIPS based on the studies carried by Central Inland Capture Fisheries Research Institute (currently known as CIFRI), Barrackpore and Inland Fisheries Training Institute, Kolkata, as a part of EMP. The fish ladder constructed across the dam of TLD-IVPS in consultation with Central Institute of Fisheries Education (CIFE), Kolkata. The detailed studies on riverine fisheries of Teesta were undertaken by these Institutes before the commencement of any project activity. To facilitate the movement of migratory fish through fish ladders, release of minimum 1.25 cumec of water is being ensured by both the Power Stations.   River ranching programme for conservation and propagation of river Teesta has been conducted. The project reservoir of TLD-IV PS or downstream of TLD-III PS near Hanuman Jhora in Kurseong Division has been supplemented with fish fingerlings in association with officials from the State Fisheries Deptt. and Projects along with the local populace.

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 |    May 20, 2019

पर्यावरण वार्ता (अंक 3 )

22 अप्रैल 1970 को पहली बार पृथ्वी दिवस तब मनाया गया जबकि यूनाईटेड स्टेट्स के दो हजार से अधिक विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों से अध्यापक और छात्र एक साथ इस कारण के लिये इकट्ठे हुए। उन्होंने शांतिपूर्ण तरीके से मार्च कर धरती के गिरते स्वास्थ्य की ओर विश्व का ध्यान खींचने की महत्वपूर्ण पहल की थी। जाने माने फिल्म और टेलीविजन अभिनेता एड्डी अल्बर्ट के जन्मदिवस पर इसे मनाये जाने का प्राथमिक कारण उनकी पर्यावरण चेतना तथा जागरूकता के लिये किया गया उनका कार्य माना जाता है। अलबर्ट ने अपने टेलिविजन शो “ग्रीन एंकर्स” में पर्यावरण के प्रति जन-चेतना फैलाने में महति भूमिका का निर्वहन किया था। यद्यपि इस दिवस के धरती के प्रति जागरूकता प्रसारित करने के लिये चयन किये जाने के अन्य कारण भी थे, उदाहरण के लिये, अप्रैल माह में प्रकृति अपने सर्वाधिक सौष्ठव में होती है जो लगाव की भावना के प्रसारण का सर्वोत्तम समय भी है। आज यह महत्वपूर्ण हो जाता है कि धरती की पीड़ा को हम समझें और उसके संरक्षण और नव-जीवन के लिये प्रयसरत हों।   पिछले दिनों (20 मार्च) विश्व गोरैया दिवस था। जैव-विलुप्तता का गोरैया से बड़ा उदाहरण देखने को नहीं मिलता। एक समय था जबकि गोरैया हमें घर-घर में नज़र ...

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 |    April 29, 2019

PHOTOGRAPH OF THE WEEK

उपरोक्त तस्वीर एनएचपीसी के तीस्ता लो डैम -III एवं IV परियोजनाओं, के लिए स्थापित  ऑर्किडेरियम में खींची गई है। ऑर्किडेरियम एक संरक्षित क्षेत्र है जो ऑर्किड की विभिन्न किस्मों ( लुप्तप्राय व अन्य ) के लिए वांछित पर्यावरणीय परिस्थितियाँ प्रदान करता है ताकि वे बहुतायत से विकसित हो सकें। यह ऑर्किडेरियम वन्यजीव/जैव विविधता  संरक्षण योजना के अंतर्गत 'रियांग, दार्जलिंग जिला, पश्चिमी बंगाल' में विकसित किया गया है। ऑर्किडेसिअ (आर्किड प्रजाति) फूल - पौधों के सबसे बड़े परिवारों में से एक है और इसकी कई प्रजातियां हर्बल दवाओं और बागवानी उद्योग के लिए अत्यधिक मूल्यवान हैं। यह प्राय: भूमि पर अथवा दूसरे पेड़ों पर आश्रय ग्रहण कर उगते हैं। ऑर्किड जो पेड़ की सतहों पर बढ़ते हैं,  प्रकाश की तरफ ऊपर की ओर चढ़ते हैं, उन्हें अधिजीविक (एपिफाइट्स) कहा जाता है। उनकी उजागर, वायवीय जड़ें हवा और उनके आसपास की जैविक सतहों से नमी और पोषक तत्व इकट्ठा करती हैं। किसी भी समूह के फूल-पौधों  में इतने विविध रूप नहीं हैं जितने और्किडों में। वास्तव में इनके फूल की तथा अन्य भागों के रूपांतरण ने इन्हें इतना भिन्न बना दिया है कि ये साधारण एकदली फूल जैसे लगते ही नहीं हैं। और्किडों के फूल चिरजीवी होने के लिए प्रसिद्ध हैं।इसे  " प्रकृति के ...

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 |    April 29, 2019

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