NHPC Blog
नागफनी
Picture source = https://www.plantaeparadise.com/Echinopsis-hybrid-p543258858 (बतकही/ प्रसंग) फूलों की दुकान का मुआयना करती रूतु की सरसरी नजरें कंटीली नागफनी की खूबसूरती पर जा कर अटक गईं और अब नागफनी का वो नन्हा पौधा उसके शयनकक्ष की सजीवता को बढ़ा रहा था। वस्तुतः रूतु गई तो थी फूल के पौधे लेने पर उसने कंटीली नागफनी में ज्यादा अपनापन पाया। रूतु को नागफनी अपनी फ़ितरत से मिलती-जुलती सी लगी तो उसे संग ले आई। लंबे अरसे से सिरहाने पड़ा खाली तिपाया उसे कचोट रहा था। वैसे भी कहने वाले से ज्यादा उसे सुनने वाले की जरूरत थी - एक मौन श्रोता ! नागफनी (कैक्टस) को सामान्यतः घर के अंदर क्या, घर के आस-पास भी देखना पसंद नहीं किया जाता है, पर "रूतु" उसे अपने घर के अंदर ही नहीं बल्कि अपने शयनकक्ष में रखने के लिए खरीद लाई थी। "नागफनी" - खाद/पानी व देखभाल के बिना भी जीवित रहने की कूवत रखती है। अपनी जिजीविषा को खुद में समेटे, संरक्षित किए - काफी हद तक आत्मनिर्भर ! कांटों के खूबसूरत लिबास में इठलाती हुई, और ... कांटे भी तेज़, धारदार, नुकीले और तीखे। वास्तव में ये कांटे नागफनी की पत्तियां हैं, जो कि कांटों में तब्दील हो गई हैं - ...
Business Responsibility and Sustainability Reporting (BRSR): a way to achieve Sustainable Development Goals
"Transforming our world: the 2030 Agenda for Sustainable Development" comprising of 17 Sustainable Development Goals (SDGs) was adopted by 193 countries of the UN General Assembly at the Sustainable Development Summit in September 2015. SDGs include important elements like ‘no poverty”, ‘zero hunger’, ‘quality education’, ‘clean energy’ etc. India along with other countries signed the declaration on the 2030 Agenda and the NITI Ayog, the apex body of GOI in co-ordination with State Governments is making all out efforts to achieve the targets under the SDGs. Given the diverse socio-economic scenario of India, holistic achievement of SDGs will require collective efforts and active participation of all business sectors in the country. The step taken by SEBI for mandatory non-financial disclosure by listed company (ies) in BRSR format w.e.f. FY 2022-23 is a significant step for sustainable business practices. The BRSR format has been designed as per National Guidelines on Responsible Business Conduct (NGRBC-2019) which has nine principles (P1 to P9) aligning business module to incorporate all the 17 SDGs. It is envisaged that such business modules aligned with SDGs will go a long way in transforming the economic development processes in India. The mandatory disclosure will enable companies to review ...
Floating Biomass of Loktak Lake (Phumdi)
Loktak Lake is not only the largest freshwater lake in northeast India but is also home to unique floating islands called “Phumdis”. These circular landmasses are made of vegetation, soil, and organic matter (at different stages of decomposition) that have been thickened into a solid form. Most of the mass of Phumdis lies below the water surface. The thickness of these floating islands varies from a few centimeters to around two meters. During the dry season, when water levels drop, the living roots of the Phumdis can reach the lake-bed and absorb nutrients. When the wet season returns, they again float, and the biomass, which has enough nutrients stored in the plants' roots, survives. The largest mass of Phumdis are in the southern part of Loktak lake and the area has been notified as Keibul Lamjao National Park. Phumdis are habitat of over 83 species of plants. Mammals like the sangai, hog deer, common otter, jungle cat, bamboo rat, fox, Indian civets, musk shrew, flying fox, and others live in the phumdis in Keibul Lamjao National Park. A large number of reptiles including tortoises, common lizards, and poisonous snakes like krait, viper, cobra, and python also inhabit the park. Both migratory ...
कृषि वानिकी (एग्रोफारेस्ट्री) – एक नवीन धारणा
सरल शब्दों में वनीय वृक्षों तथा फसलों की संयुक्त कृषि को कृषि वानिकी या एग्रोफारेस्ट्री कहते हैं । जबकि विस्तृत रूप में कृषिवानिकी एक प्रतिपालनीय भूमि प्रबंधन तंत्र है जो भूमि की उत्पादन शक्ति को बढ़ाता है एवं एक साथ अथवा क्रमिक रूप में फसलों (वृक्षीय फसलों सहित) तथा वन पौधों तथा/ अथवा जन्तुओं के उत्पादन को जोड़ता है । साथ ही साथ स्थानीय समुदाय द्वारा प्रयोग की जाने वाली कृषि रीतियों के अनुरूप प्रबंधन रीतियों को प्रवृत करता है । नम उष्ण क्षेत्रों में वृक्षों के रक्षण के अभाव में एक वर्षीय खाद्य फसलों का उत्पादन प्रायः कठिन होता है । इन क्षेत्रों की मृदा में पोषक तत्व शीघ्र रिसकर नीचे चले जाते हैं तथा इस क्षय को कृत्रिम रूप से पूरित करने का प्रयास किया जाता है, जबकि परंपरागत लघुस्तरीय तंत्रों के लिए यह निषेधार्थक है । वृक्षों के बिना सम्पूर्ण जैविक तथा भौतिक पर्यावरण शीघ्र विघटित हो जाता है । नम उष्ण क्षेत्रों की जंगली वनस्पतियों में वृक्षों का प्रमुख स्थान है तथा फसल उत्पादन अथवा पशुपालन अथवा दोनों के साथ वृक्ष उत्पादन के लिए समान भूमि का बहुप्रयोग, नम उष्ण मृदा की संरचना एवं उर्वरा शक्ति तथा जैविक एवं भौतिक पर्यावरण के अन्य घटकों के संरक्षण ...
अपने ध्वंस और पुनर्निर्माण के लिए इतिहास मे दर्ज है सुदर्शन बांध
सौराष्ट्र में गिरिनगर से निकलती सुवर्नरेखा (सुवर्णसुकता) नदी पर निर्मित सुदर्शन झील को भारत के आरम्भिक मानव-निर्मित झीलों में से एक माना जाता है, जिसके निर्माण-ध्वंस और पुनर्निर्माण की लोमहर्षक गाथा में लोककल्याण के लिये शासकों और तत्कालीन अभियंताओं का गहन संघर्ष परिलक्षित होता है। सुदर्शन झील का निर्माण चंद्रगुप्त मौर्य के शासन समय में उनके द्वारा नियुक्त सौराष्ट्र के प्रान्तीय शासक पुष्यगुप्त ने कराया था। कालांतर में सम्राट अशोक के राज्यपाल तुशाष्प ने इस बांध तथा उससे जनित जलाशय में से सिंचन हेतु नहरें निकाली। अब चंद्रगुप्त मौर्य के समय का उल्लेख है तो महाविद्वान चाणक्य की चर्चा के बिना बात अधूरी रह जायेगी। यह सुख़द है कि चाणक्य ने अर्थशास्त्र में बांध के निर्माण, सिंचन व्यवस्था और कृषि पर बहुत विस्तार से लिखा है। उन्होंने अर्थशास्त्र में जल संग्रहण के लिए सेतु, नहर के लिए परिवह, जलाशय के लिए तातक, नदी जल के लिए नद्ययतना, नदी पर बनने वाले बांध के लिए नदिनीबंधयतन, इस बांध से निकली नहर के लिए निबंधयतन शब्दों का प्रयोग किया है। कौटिल्य ने लिखा है- आधारपरिवाहकेद्रोपभोग्या जिसका अर्थ है “जलागार की नहरों से सिंचित खेतों का उपयोग।” ये उदाहरण संक्षेप में इसलिये जिससे कि हम आश्वस्त हो सकें कि मौर्य शासन समय मे ...
Pandas of the plant world
The IUCN web link on orchids describes orchids as a charismatic group of plants called the "pandas of the plant world". The intriguing description traces its roots to Stephen Jay Gould’s essay “The Panda’s Thumb”, which is a popular scientific essay that takes cue from the lesser-known work of Charles Darwin “On the Various Contrivances by Which British and Foreign Orchids are Fertilized by Insects (1862)”. Gould quotes Darwin, “…continued self-fertilization is a poor strategy for long-term survival, since offspring carry only the genes of their single parent, and populations do not maintain enough variation for evolutionary flexibility in the face of environmental change. Thus, plants bearing flowers with both male and female parts usually evolve mechanisms to ensure cross-pollination. Orchids have formed an alliance with insects. They have evolved an astonishing variety of "contrivances" to attract insects, guarantee that sticky pollen adheres to their visitor, and ensure that the attached pollen comes in contact with female parts of the next orchid visited by the insect.” Gould quotes Darwin’s interpretations of evolutionary adaptations in orchids to elaborate his observations and hypotheses about the adaptations in Giant Panda. The essay is an interesting treatise on the contrivances by which the Giant ...
अंक की तस्वीर
नववर्ष के अवसर पर सांस्कृतिक कार्यक्रम एनएचपीसी में सांस्कृतिक कार्यक्रम के माध्यम से नववर्ष 2023 हर्षोल्लास और सांस्कृतिक प्रस्तुति के साथ मनाया गया। कार्यक्रम का आयोजन 'आजादी का अमृत महोत्सव' पहल के तहत किया गया था। इस अवसर पर श्री वाई.के. चौबे, निदेशक (तकनीकी/कार्मिक), एनएचपीसी; मुख्य अतिथि थे। इस अवसर पर श्री आर.पी. गोयल, निदेशक (वित्त), एनएचपीसी; सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी, कर्मचारियों और VC के माध्यम से परियोजनाओ/ पावर स्टेशनों मे स्थित एनएचपीसी के अन्य कार्मिक भी सम्मलित हुए। कार्यक्रम का विशेष आकर्षण कथक केंद्र, नई दिल्ली के कलाकारों द्वारा भव्य सांस्कृतिक प्रस्तुति हुई, जिसने दर्शकों को मंत्रमुग्ध किया।
अंक की तस्वीर
महसीर मछली फार्म - मछियाल, जिला मंडी, हिमाचल प्रदेश पार्वती-II (800 MW) पावर स्टेशन, हिमाचल प्रदेश के पर्यावरण प्रबंधन योजना के तहत मछियाल, जिला मंडी, हिमाचल प्रदेश में महसीर फार्म को विकसित किया गया है। फार्म में उत्पादित फिंगरलिंग्स का उपयोग ब्यास नदी और पार्वती चरण- II पावर स्टेशन के जलाशय के डाला (stocking) जाता है।