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“खज़ानों के हीरे : बावड़ी जल संचय की पारंपरिक प्रणाली”

चित्र आभार – रितुमाला गुप्ता , वरिष्ठ प्रबंधक (पर्यावरण)   प्राचीन काल से ही भारत में जल के महत्व को समझते हुए जल संरक्षण एंव प्रबंधन के कार्य किए गए हैं। मुख्य रूप से “वर्षा जल संचय” - जल संरक्षण की एक प्राचीन परंपरा है जो वर्तमान परिदृश्य में अधिक प्रासंगिक हो गयी है। जल संरक्षण और प्रबंधन तकनीकों में अंतर्निहित मूल अवधारणा यह है कि वर्षा का पानी जब भी और जहां भी गिरे उस जल का संरक्षण किया जाना चाहिए। पुरातात्विक साक्ष्यों से पता चलता है कि जल संरक्षण और प्रबंधन की प्रथा, प्राचीन भारत के विज्ञान में गहराई से निहित है। प्राचीन भारत में बाढ़ और सूखा दोनों नियमित घटनाएँ थीं एवं यह एक कारण हो सकता है कि देश के हर क्षेत्र की भौगोलिक विषमताओं और सांस्कृतिक विशिष्टताओं के आधार पर पारंपरिक जल संरक्षण और प्रबंधन तकनीक उपायों का निर्माण किया गया होगा । हमारे देश के जल संरक्षण और प्रबंधन के विरासत को दर्शाने के लिए जल शक्ति मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा वर्ष 2020 में “"भारत की तरल संपत्ति के लिए बावड़ी - खानदानी ख़ज़ाने  ( http://jalshakti-dowr.gov.in/sites/default/files/eBook/eBook-Stepwell/mobile/index.html"  पुस्तिका प्रकाशित कि गयी है और बावड़ी को खानदानी ख़ज़ानों  का दर्जा दिया गया है।   सदियों के अनुभव ...

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 |    October 21, 2021

निम्मो बाजगो पावर स्टेशन में मत्स्य प्रबंधन योजना का सफल कार्यान्वयन

चित्र आभार : लेखक   परिचय: जलविद्युत परियोजनाओं ने क्षेत्र के सतत विकास में हमेशा एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। जलविद्युत विकास, सामाजिक व आर्थिक बेहतरी और पर्यावरण संरक्षण के साथ आता है। पर्यावरण के विभिन्न पहलुओं पर जलविद्युत के निर्माण के प्रभाव का अध्ययन किया जाता है जिसमें जलीय पारिस्थितिकी भी शामिल है। यह उल्लेख करना आवश्यक है की जलीय पारिस्थितिकी तंत्र के घटक जैसे मत्स्य और उसका वैज्ञानिक प्रबंधन  जलविद्युत परियोजनाओं  के पर्यावरण प्रबंधन का अभिन्न अंग है। एनएचपीसी ने पर्यावरण के प्रति हमेशा एक  जागरूक संगठन के रूप में पर्यावरण प्रबंधन योजनाओं को लगातार प्रतिबद्ध तरीके से कार्यान्वित किया है , जिसे विभिन्न मंचों पर समय-समय पर सराहा गया है। यह लेख निम्मो बाजगो पावर स्टेशन में कार्यान्वित मत्स्य प्रबंधन योजना एवं इससे प्राप्त सामाजिक लाभ पर प्रकाश डालता है।   क्षेत्र का विवरण: लद्दाख का क्षेत्र एक विरोधाभास है - लद्दाख से होकर बहने वाली शक्तिशाली सिंधु नदी के बावजूद, यहां ठंडे रेगिस्तान जैसी स्थिति बनी रहती है। ज़ांस्कर और लद्दाख पर्वत शृंखला बारिश के बादलों को लद्दाख प्रवेश करने से रोकते हैं फलस्वरूप सालाना वर्षा औसतन मात्र 9 से 10 से.मी. है। सिंधु नदी मानसरोवर झील (ऊँचाई 5180 मीटर) के पास पश्चिमी तिब्बत में कैलास ...

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 |    October 21, 2021

Interesting Facts about Mexican Coriander / Culantro

Photo source:  Author   Introduction : Mexican Coriander or Culantro (Eryngium foetidum) belongs to family Apiaceae and used as a spice as well as medicinal plant. It is a tropical perennial & annual herb and a native of Mexico and South America. It is also called long coriander, because it is used as a substitute of Coriander. Culantro is a tap-rooted biennial herb with long evenly branched roots. The oblanceolate leaves arranged spirally around the short thick stem from a basal rosette and are as much as 30 cm long and 4 cm broad. The leaf margin is serrated and each tooth of the margin contains a small yellow spine. The plant produces a well-branched cluster of flower heads in spikes forming the characteristic umbel inflorescence on a long stalk arising from the center of the leaf rosette. The calyx is green while the corolla is creamy white in color. The appearance of culantro and cilantro (i.e. coriander) are different but the leaf aromas are similar, although culantro is more pungent. Because of this aroma similarity the leaves are used interchangeably in many food preparations and are the major reason for the misnaming of one herb for the other.   ...

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 |    October 21, 2021

एनएचपीसी ने आयोजित किया वन महोत्सव 2021

जुलाई के पहले सप्ताह (1 से 7 जुलाई) में वनों के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए वन महोत्सव मनाया जाता है। यह एक वार्षिक वृक्षारोपण उत्सव है, जिसमें पूरे देश में वृक्षारोपण अभियान चलाया जाता है। एनएचपीसी ने हरियाणा वन विभाग, फरीदाबाद के सहयोग से 9 अगस्त 2021 को वनमहोत्सव 2021' कार्यक्रम का आयोजन पर्यावरण संवर्धन और हरीतिमा के विस्तार करने के उद्देश्य से किया। इस अवसर पर दिल्ली मथुरा राष्ट्रीय राजमार्ग पर एनएचपीसी चौक के निकट वृहद पौधारोपण का कार्यक्रम आयोजित किया गया। पौधारोपण कार्यक्रम का आरम्भ माननीय श्री ए.के. सिंह, सीएमडी, एनएचपीसी तथा श्री राज कुमार, आईएफएस, उप वनसंरक्षक, फरीदाबाद द्वारा पौधा लगा कर किया गया। कार्यक्रम में एनएचपीसी के निदेशकगण श्री एन.के.जैन, निदेशक (कार्मिक), श्री वाई.के. चौबे, निदेशक (तकनीकी) और श्री ए.पी.गोयल, निदेशक (वित्त) द्वारा पौधे लगाए गए। तत्पश्चात एनएचपीसी के अधिकारियों द्वारा पौधे लगा कर राष्ट्रीय राजमार्ग के किनारों को हरा भरा किया गया। वन महोत्सव 2021 के तहत हरियाणा वन विभाग, फरीदाबाद द्वारा प्रदान किए गए विभिन्न प्रजातियों के सात सौ पौधे लगाये गये जिनमें पीपल (Ficus religiosa ), कदम्ब (Neolamarckia cadamba ) , नीम  (Azadirachta indica), करंज (Millettia pinnata ) आदि भूमि को शीघ्र हरा भरा कर देने वाले और छायादार पौधे लगाए ...

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 |    October 21, 2021

निगम मुख्यालय में वन महोत्सव – 2021 के उपलक्ष में पौधा वितरण

वन महोत्सव - 2021 का आयोजन दिनांक 9/08/2021 को एनएचपीसी एवं वन विभाग, फरीदबाद द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित किया गया। इसी क्रम में पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता को प्रसारित करने एवं पर्यावरण के प्रति प्रतिबद्धता निभाने के उद्देश्य से दिनांक 10/08/2021 को एनएचपीसी कार्यालय परिसर में अधिकारियों एवं कर्मचारियों के मध्य पौधों का वितरण किया गया। विभिन्न प्रजातियों के आठ सौ फलदार तथा औषधीय पौधों का वितरण किया गया, जिसमे सहजन, जामुन, गिलोय, तुलसी, अशोक, सदाबहार, अमरूद, नीम जैसे पौधों को वितरित किया गया। निगम में कार्यरत कार्मिकों ने बढ़-चढ़ कर इस अभियान में रुचि दिखाई और वितरित किये जा रहे पौधों को प्राप्त किया।  

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 |    October 21, 2021

पार्बती जल विद्युत परियोजना चरण–II द्वारा वन महोत्सव 2021 के दौरान पौधारोपण कार्यक्रम का आयोजन

पार्बती जल विद्युत परियोजना चरण–II (800 MW), नगवाईं के कार्मिकों ने मिलकर काफी उत्साह व सक्रिय भूमिका निभाते हुये विभिन्न परियोजना स्थलों पर वन महोत्सव- 2021 कार्यक्रम के दौरान पौधारोपण किया । वन महोत्सव मनाने का मुख्य उद्देश्य आम लोगों / नागरिक को अधिक से अधिक पौधारोपण करने के लिए प्रेरित एवं प्रोत्साहित करना है। वन महोत्सव के कार्यक्रम के दौरान हिमाचल प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, क्षेत्रीय कार्यालय, कुल्लू के अधिकारियों ने भी भाग लिया। वन महोत्सव, 2021 का कार्यक्रम कार्यालय परिसर नगवाई, आवासीय परिसर सैंज , बांध आवासीय परिसर, बरशैनी तथा टीबीएम साइट शीलागढ़ में आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम के दौरान सौ से अधिक संख्या मे स्थानीय पौधे जिनमें देवदार, सेब, अखरोट, आड़ू, अमलोक, खुबानी तथा बहूनिया आदि प्रजाति सम्मिलित हैं का पौधारोपण  किया गया।  

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 |    October 21, 2021

पर्यावरण शब्दकोष (10)

Image source : https://www.istockphoto.com/photos/hydrosphere     क्र. शब्द अर्थ 1 जलमंडल (Hydrosphere)   किसी ग्रह पर पानी की कुल मात्रा जलमंडल कहलाती है। इसमें सारा पानी शामिल है जो ग्रह की सतह पर, भूमिगत और हवा में मौजूद होता है। किसी ग्रह का जलमंडल तरल, वाष्प या बर्फ हो सकता है। पृथ्वी में तरल जल सतह पर महासागरों, झीलों और नदियों के रूप में मौजूद है। यह जमीन के नीचे भूजल के रूप में कुओं और जलभृतों में पाया जाता है। जलवाष्प सबसे अधिक बादलों और कोहरे के रूप में दिखाई देता है।पृथ्वी के जलमंडल का जमा हुआ भाग बर्फ से बना है जो हिमनद, बर्फ की चोटी और हिमखंड के रूप में मौजूद है। जलमंडल का जमा हुआ हिस्सा हिमावरण/हिममंडल (Cryosphere) कहलाता है।     2 जलवायु (Climate)      किसी विशेष स्थान पर लंबे समय तक वातावरण की स्थिति जलवायु कहलाती है। यह वायुमंडलीय तत्वों (और उसकी विविधताओं) का दीर्घकालिक योग है, जो कम समय में मौसम का निर्माण करता है। ये तत्व सौर विकिरण, तापमान, आर्द्रता, वर्षा, वायुमंडलीय दबाव और हवा इत्यादि हैं।     3 जलवायु अन्तराल (Climate Lag)   जलवायु अन्तराल को एक देरी के रूप में परिभाषित किया जाता है जिसके तहत जलवायु के कुछ ...

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 |    October 21, 2021

अंक की तस्वीर

विश्व पर्यावरण दिवस के उपलक्ष्य में निगम मुख्यालय के साथ-साथ विभिन्न परियोजनाओं एवं पावर स्टेशनों में पर्यावरण जागरूकता अभियान तथा पौधारोपण कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

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 |    July 5, 2021

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