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इस अंक की तस्वीर
हमनी फिश फार्म, पार्बती-III पावर स्टेशन, हिमाचल प्रदेश
पार्बती –III पावर स्टेशन की मत्स्य विकास प्रबंधन योजना के अंतर्गत हिमाचल राजकीय मत्स्य विभाग द्वारा एक ट्राउट फिश फार्म तीर्थन नदी पर हमनी, बंजार तहसील में विकसित किया गया है । यह फिश फार्म हिमाचल राजकीय मत्स्य विभाग के तत्वावधान में कार्य करता है।इसके निर्माण के लिए पार्बती -III पावर स्टेशन द्वारा हिमाचल राजकीय मत्स्य विभाग को एक करोड़ 30 लाख रुपए दिये गए । यह फार्म ब्राउन ट्राउट और रेनबो ट्राउट दोनों प्रकार की फिश के एंगलर्स विकसित करने के उद्देश्य से बनाया गया है । यहां दोनों प्रकार की ट्राउट फिश विकसित कर तीर्थन नदी और सेंज नदी में डालने की व्यवस्था हिमाचल राजकीय मत्स्य विभाग एवं पार्बती-III पावर स्टेशन द्वारा की जाती है ।
विशाल शर्मा, वरिष्ठ प्रबन्धक (पर्यावरण)
पार्बती –III पावर स्टेशन
पर्यावरण वार्ता (अंक 15)
यह पर्यावरण के लिये ही नहीं मानवता के समक्ष भी कठिन समय है। कोरोना की दूसरी लहर ने सर्वत्र ऐसे दृश्य उपस्थित किये हैं जो भयावह हैं। ऐसे समय में एक भारतीय के रूप में हमारी पहचान सुनिश्चित होनी है, यह समय कसौटी है कि महामारी से राष्ट्र के रूप में एकजुट हो कर हम कैसे लड़ें, कैसे एक दूसरे की मदद करें, कैसे फिर से सब कुछ सामान्य हो सके, उसके लिये सतत प्रयत्नशील रहें। इस कठोर कालखण्ड में भी यह देखना सु:खद है कि देश का सरकारी तंत्र, पब्लिक सेक्टर इकाईयों सहित निजी क्षेत्र भी बढ़-चढ़ कर सामने आये हैं और अपनी अधिकाधिक क्षमता तक केंद्र व राज्य सरकारों को ही नहीं अपितु आमजन के लिये भी मदद पहुँचाने में सक्रिय हैं। एनएचपीसी प्रबंधन ने भी इस आपदा के समय अपने दायित्वों का सतत निर्वहन किया है। इसी से जोड़ कर मैं कहना चाहता हूँ कि पर्यावरण के प्रति हमारी संवेदना हमें महामारियों से बचा सकती है,जिसके लिएसजगता आवश्यक है।इस वर्ष जनवरी 2021मेंवर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम द्वारा जारी ग्लोबल रिस्क रिपोर्ट – 2021 में कोरोना और इस जैसी संक्रामक बीमारियों को इंसानों और व्यापार के लिए एक बड़े खतरे के रूप में बताया है। इस रिपोर्ट में पर्यावरण से जुड़ी समस्याओं जैसे जलवायु परिवर्तन और जैव-विविधता को हो रहे नुकसान को कोरोना से बड़ा खतरा माना है। विकासशील देश बडी विपत्ति में है लेकिन यहाँ के जुझारू आम जन किसी भी आपदा से लड़ सकते हैं, हम कोरोना के इस दौर की गर्दन पर शीघ्र ही अंकुश रख पायेंगे, मैं इसकी आशा करता हूँ, साथ ही यह अपेक्षा भी रखता हूँ कि सभी स्वयं सुरक्षित रहें और सरकार द्वारा निर्धारित गाईडलाईंस का पालन करते रहें।
मई का महीना ग्रीष्म ऋतु की पहचान है, साथ ही प्रतिवर्ष इस माह में पर्यावरण से जुडे अनेक वैश्विक दिवस भी मनाये जाते हैं, उदाहरण के लिये अंतर्राष्ट्रीय तेंदुआ दिवस (3 मई), विश्व प्रवासी पक्षी दिवस (प्रत्येक मई माह का दूसरा शनिवार), लुप्तप्राय प्रजाति दिवस (प्रत्येक मई का तीसरा शुक्रवार), जैविक विविधता के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस (22 मई), विश्व कछुआ दिवस (23 मई), विश्व ऊदबिलाव दिवस (27 मई), विश्व तोता दिवस (31 मई) आदि। इनकी संरचना पर ध्यान दें तो सभी जीव जगत और उनके संरक्षण से जुड़ेदिवस हैं। यह हम सबका दायित्व है कि इस धरती को केवल मनुष्यों के रहने लायक न छोड़ें बल्कि जीव-जंतुओं को उनकी नैसर्गिकता और विविधता के साथ रहने योग्य वातावरण भी निर्मित करें। सोच कर देखें ऐसी धरती जिसमें केवल इन्सान हों, कोई पशुपक्षी नहीं? अव्वल तो इस परिस्थिति में मनुष्य भी संकटग्रस्त प्राणीयों की गिनती में आ जायेगा दूसरा यह भी सोचें कि जैसे-जैसे जीव धरती को अलविदा कह रहे हैं यहाँ का रंग-बिरंगापन भी सिमटता जा रहा है। गिद्धों से ले कर गोरैया तक अब बमुश्किल ही कहीं देखने को मिलती है। यही कारण है कि एनएचपीसी एक जिम्मेदार और पर्यावरण प्रिय संस्था के रूप में सतत विकास की अवधारणा की ओर सर्वदा प्रतिबद्ध रहा है। जैव-विविधता संरक्षण की योजनायें प्राथमिकता से हमारी पर्यावरण प्रभाव मूल्यांकन रिपोट का हिस्सा होती हैं, सुझावों का अक्षरत: प्रतिपादन भी किया जाता है।
इन शब्दों के साथ एक बार पुन: मैं दोहराना चाहता हूँ कि कोरोना से सतर्क रहें, सभी गाईडलाईंस का पालन करते रहें साथ ही बीमारी से लड़ने में समाज और मानवता को यथायोग्य अपना योगदान भी दें। साथ ही साथ इस धरती की हरियाली की भी चिंता करें जिससे वे परिस्थितियाँ फिर सामने न आयें जिनसे आज हम जूझ रहे हैं।
एन एस परमेश्वरन
कार्यपालक निदेशक, पर्यावरण एवं विविधता प्रबंधन विभाग
Image Source : https://english.newstracklive.com/news/world-corona-increased-in-america-is-first-stage-of-corona-cases-mc24-nu901-ta321-1142945-1.html
पार्बती-III पावर स्टेशन के सिउण्ड स्थित बांध क्षेत्र में ब्राउन ट्राउट की स्टाकिंग
पार्बती-III पावर स्टेशन के सिउण्ड स्थित बांध क्षेत्र में दिनांक 08.04.2021 को ब्राउन ट्राउट फिश के 15600 सीड (Frys) छोड़े गए । मतस्य विभाग हमनी (बंजार), हिमाचल प्रदेश स्थित ट्राउट फिश फार्म से फ्राइ सीड (Frys) लाये गए थे। ब्राउन ट्राउट की स्टाकिंग के द्वारा पार्बती-III पावर स्टेशन बांध क्षेत्र के अपस्ट्रीम में मतस्य पालन को प्रोत्साहन मिलेगा साथ ही साथ यह प्राकृतिक जलीय पर्यावरण संतुलन में भी उपयोगी सिद्ध होगा। ब्राउन ट्राउट की स्टोकिंग हिमाचल प्रदेश के मत्स्य विभाग के श्री महेश कुमार, उप निदेशक, श्री डी सी आर्य, मतस्य अधिकारीएवं श्री विशाल शर्मा, वरिष्ठ प्रबन्धक (पर्यावरण), पार्बती-III पावर स्टेशनके द्वारा सफलता पूर्वक संचालित किया गया । पार्बती –III पावर स्टेशन की मत्स्य विकास प्रबंधन योजना के अंतर्गत हिमाचल राजकीय मत्स्य विभाग द्वारा एक ट्राउट फिश फार्म तीर्थन नदी पर हमनी, बंजार तहसील में विकसित किया गया है । इसके निर्माण के लिए पार्बती -III पावर स्टेशन ने हिमाचल राजकीय मत्स्य विभाग को एक करोड़ 30 लाख रुपए दिये गए । यह फार्म ब्राउन ट्राउट और रेनबो ट्राउट दोनों प्रकार की फिश के एंगलर्स विकसित करने के उद्देश्य से बनाया गया है । यह फिश फार्म हिमाचल राजकीय मत्स्य विभाग के तत्वावधान में कार्य करता है। यहां दोनों प्रकार की ट्राउट फिश विकसित कर तीर्थन नदी और सेंज नदी में डालने की व्यवस्था हिमाचल राजकीय मत्स्य विभाग एवं पार्बती-III पावर स्टेशन द्वारा की जाती है ।
विशाल शर्मा, वरिष्ठ प्रबन्धक (पर्यावरण) एवं विनीत त्यागी, प्रबन्धक (सिविल)
पार्बती –III पावर स्टेशन
पर्यावरण शब्दकोष (09)
Image source : https://regroup.us/thought/population-health-and-the-pandemic/
क्र. | शब्द | अर्थ |
1 |
जनसंख्या (Population)
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जनसंख्या व्यक्तियों / जीवों का एक अलग समूह है। यह समूह एक राष्ट्र या एक सामान्य विशेषता वाले लोगों का समूह हो सकता है । एक समान विशेषता के अनुसार समूहीकृत किसी भी चयन को जनसंख्या या आबादी कहा जा सकता है।
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2 | जैव–निम्नीकरणीय
(Biodegradable) |
जीवित चीजों (जैसे सूक्ष्मजीव) द्वारा या प्राकृतिक रूप से क्षय होकर पर्यावरण को नुकसान पहुंचाए बिना अहानिकर उत्पादों में टूटने में सक्षम होने का गुण रखने वाले पदार्थ जैव-निम्नीकरणीय कहलाते हैं।
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3 |
जलभृत (Aquifer) |
यह धरातल के नीचे मौजूद मिटटी, गाद एवं चट्टानों की वह परत है जो पानी से संतृप्त होती है। वर्षा जल पृथ्वी की सतह से रिस कर यहाँ जमा हो जाता है जिसे बाद में नलकूप व कुओं के माध्यम से वापस सतह पर ला कर उपयोग किया जाता है । |
4 | जल–वितरण
(Water distribution) |
पृथ्वी एक जलीय गृह है पर यहां जल का वितरण असामान्य है। पृथ्वी की सतह का लगभग 71 प्रतिशत हिस्सा पानी से ढका हुआ है और महासागर पृथ्वी के सभी पानी का लगभग 96.5 प्रतिशत हिस्सा रखते हैं। पानी हवा में जल वाष्प के रूप में, नदियों और झीलों में, हिमकणों और ग्लेशियरों में, जमीन में नमी और जलीय रूप में और समस्त जीवों में भी मौजूद है।पृथ्वी का लगभग 97% पानी खारा है और महासागरों में पाया जाता है। मीठे पानी की छोटी मात्रा ( 3%) में से, मानव, पौधे और पशु जीवन को बनाए रखने के लिए केवल एक अपेक्षाकृत छोटा हिस्सा ही उपयोग के लिए उपलब्ध है।
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5 | जल–विलवीकरण
(Water desalination) |
विलवणीकरण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें समुद्र के पानी या खारे पानी से अतिरिक्त लवणों को निकालकर उसे सुरक्षित पीने योग्य या उपयोग योग्य पानी में परिवर्तित किया जाता है। |
6 | जलकुम्भी
( Eichhornia spp ) |
यह एक बहुत तेजी से फैलने वाला खरपतवार है जो जलाशयों में जैव विविधता ह्रास का एक कारण है जो अनेक जलीय प्रजातियो को अपनी उपस्थिति के कारण नष्ट कर देता हैं। जलकुंभी की उपस्थिति से पानी में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है जिससे मछलियों के अलावा अन्य जलीय वनस्पतियों और जीवों का दम घुटने लगता है। यह पानी के बहाव को 20 से 40% तक कम कर देती है। बड़े बांधों में जलकुंभी बिजली उत्पादन को प्रभावित कर सकती है। इसके कारण पानी के “वाष्पोत्सर्जन” की गति 3 से 8 प्रतिशत तक अधिक बढ़ जाती है। जिससे पानी का जल स्तर तेजी से कम होने लगता है। जलकुंभी से ग्रसित पानी के क्षेत्र मच्छरों के लिए आवास है।
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7 | जल– संसाधन
(Water resources) |
जल संसाधन जल के वे स्रोत हैं जो मनुष्यों के लिए उपयोगी होते हैं। दैनिक जीवन में अधिकांशतः ताजे जल की आवश्यकता होती है। जल की उपस्थिति के कारण ही पृथ्वी पर जीवन संभव है। जल एक अक्षय प्राकृतिक संसाधन है। एक अक्षय संसाधन वह संसाधन होता है जिसे बार-बार इस्तेमाल किया जा सकता है क्योंकि यह प्राकृतिक रूप से प्रतिस्थापित हो जाता है।
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8 | जलग्रहण–क्षेत्र
(Catchment/ Watershed) |
वह सम्पूर्ण क्षेत्र जिसका प्रवाहित जल किसी एक नदी या सरिता में पहुँचता है, उस नदी का जलग्रहण क्षेत्र कहलाता है। यह भूमि का वह क्षेत्र है जहाँ से पानी नदी, झील या जलाशय की ओर बहता है।
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9 | जल–चक्र
(Water cycle) |
जल – चक्र जल के एक रूप से दूसरे रूप में संशोधित होने या एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने की चक्रीय प्रक्रिया है जिसमें कुल जल की मात्रा का क्षय नहीं होता है बस रूप परिवर्तन और स्थान परिवर्तन होता है। इसके द्वारा पृथ्वी में महासागरों, वायुमंडल और भूमि के बीच पानी का संचार होता है। इसके अंतर्गत वायुमंडल का पानी वर्षा और बर्फ के रूप में नदियों और जलाशयों में जाकर वाष्पीकरण और वाष्पोत्सर्जन द्वारा वायुमंडल में वापस आता है एवं यह चक्र निरंतर चलता रहता है ।
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10 | जल–प्रदूषण
(Water Pollution) |
जब हानिकारक पदार्थ, जैसे रसायन या सूक्ष्मजीव, किसी जलस्रोत जैसे नदी, झील, महासागर आदि को दूषित कर उसकी गुणवत्ता को कम करते हैं और जल को मनुष्यों या पर्यावरण के लिए विषाक्त करते हैं, जल प्रदूषण कहलाता है । पानी जल्द ही दूषित हो जाने का गुण रखता है क्यूंकि यह एक “सार्वभौमिक विलायक” के रूप में जाना जाता है। अत : पानी पृथ्वी पर किसी भी अन्य तरल पदार्थ की तुलना में अधिक पदार्थों को स्वयं में घोलने में सक्षम है। |
पूजा सुन्डी , उप प्रबंधक (पर्यावरण)
पर्यावरण एवं विविधता प्रबंधन विभाग
निगम मुख्यालय
Source : Internet/Google
- https://www.investopedia.com/
- https://dictionary.cambridge.org
- https://www.news-medical.net
- https://www.usgs.gov
- https://www.intechopen.com
- https://agrilifeextension.tamu.edu
- https://hi.vikaspedia.in
- https://nwa.mah.nic.in
- https://dictionary.cambridge.org
- https://www.nrdc.org
Eco-friendly initiatives at Chamera-II Power Station
- A composting unit has been constructed for disposal of biodegradable domestic waste generated from NHPC Colony, Chamera-II Power Station, Karian. The by-product from this composting unit is reused for plants as manure at Colony.
- Nests for birds are placed at Herbal Park at NHPC Colony, Karian, Chamba (HP).
- Plantation drive takes place from time to time. Total 800 saplings of fruit bearing plants were planted in NHPC Colony during the year 2020-21.
- The effluent from Sewage Treatment Plant is being used for irrigation of plants situated at Herbal Park and also sludge produced from STP is also being used as manure.
- The debris / boulders / sludge found deposited in Kariannallah due to rain water flowing from uphill side towards Ravi river from NHPC Colony, is removed under waste land development Plan.
- All the office works are being done through e-office, thus reducing paper consumption.
- All electric bulbs are being replaced by LED Lights for saving electricity
Sharad Laxman Ukey, Sr. Manager (Civil) and Amit Bhadula, Manager (Env.)
Chamera -II & III Power Station
Sewage Treatment Plant at Chamera Power Station-III
Chamera Stage-III Power Station has installed a STP of 100 KLD at Residential Colony of Chamera-II&III at Karian for minimizing any negative impact on water bodies due to sewage. The treated effluent from STP is used for irrigation of plants at Colony. Sludge produced from STP is also used as manure for plants.
Sharad Laxman Ukey, Sr. Manager (Civil) and Amit Bhadula, Manager (Env.)
Chamera-II&III Power Station
Bio-resource Management and Energy Conservation – a way forward Atmanirbhar Bharat
Image Source : https://www.toppr.com/guides/essays/essay-on-conservation-of-natural-resources/
In spite of the rapid pace of developments and technological advancements there are various challenges today. Climate Change or Global Warming, increasing population pressure, Food deficiency, Freshwater deficit, and others are debated around the world. Now COVID 19 pandemic is one of the greatest challenges of the 21st century and many more new challenges will come in the future which have their solutions in preserving our Bio-resources. In other words, it is becoming relevant now more than ever to save our Bio-resources.
Biological Resource means any resource of biological origin. India has diversity of biological resources in various areas which range from pristine ecosystems, agro-climatic ecosystems and ecosystems developed due to diverse socio-cultural conditions. However, the Bio-resources get depleted due to various causes such as anthropogenic activities, industrial development, agricultural practices, aquaculture, etc. Therefore, handling bio-resources in a proper manner is important for the optimum use without over exploitation of our bio-resources wealth.
Accordingly, a Centre of Excellence on “Bio-Resources Management and Energy Conservation Material Management” is being set up at Fakir Mohan University campus at Balasore, Odisha and the foundation stone for the centre was laid at the by its Vice-Chancellor Prof Dinabandhu Sahoo on 14th January 2021. The centre is being funded by World Bank and Odisha Higher Education Programme for Excellence & Equity (OHEPEE).
The 10,000 square feet centre will have world class laboratories with all modern facilities &equipment. The centre will concentrate on biodiversity assessment with special emphasis on seaweeds, mangroves, medicinal plants, microorganisms, marine mammals, etc. It will also undertake monitoring and management of pollution, ground and surface water quality. It will also carry out research on development of hybrid nano-composite materials for energy conservation.
During his address, Prof. Sahoo, emphasized on the importance of biodiversity in everyone’s life and stated that if properly managed, it will boost our economy. He also said that there is a need to conserve our biodiversity for future generations and go for bio-resources management to fulfil some of the objectives of the United Nations Sustainable Development Goal (UNSDG). Bio-resources Management and energy conservation can not only play a significant role in combating some of these challenges but also can generate billions of dollars as revenue to our economy and create millions of jobs in the country. Many such centres are required to be developed for effective Bio-resources management in the Country.
Anuradha Bajpayee, Sr. Manager (Env)
Environment & Diversity Management Division,
Corporate Office