Environment
एनएचपीसी में विश्व पर्यावरण दिवस-2024 का आयोजन
एनएचपीसी में निगम मुख्यालय के साथ - साथ समस्त परियोजनाओं, पावर स्टेशनों एवं क्षेत्रीय कार्यालयों में दिनांक 05 जून 2024 को "विश्व पर्यावरण दिवस" का आयोजन हर्षोल्लास के साथ किया गया। इस वर्ष पर्यावरण दिवस के अवसर पर "Land Restoration , Desertification and Drought Resilience" की थीम के साथ विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया गया । एनएचपीसी की सभी कार्यस्थलों में पर्यावरण संरक्षण हेतु जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन कर अधिकारियों व कर्मचारियों को पर्यावरण संरक्षण की शपथ दिलाई गई। विभिन्न स्थानों में नुक्कड़ नाटक के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण का सन्देश दिया गया। समस्त परियोजनाओं, पावर स्टेशनों एवं क्षेत्रीय कार्यालयों में बड़े पैमाने पर पौधारोपण कर स्वच्छ व हरित पर्यावरण बनाने की पहल की गई।स्थानीय विद्यालयों में लेख, स्लोगन एवं चित्रकला प्रतियोगिताओं का आयोजन कर भावी पीढ़ी को जागरूक करते हुए पर्यावरण संरक्षण का सन्देश दिया गया।
काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान में जंगल सफारी
[ Picture Source : विशाल शर्मा, समूह वरिष्ठ प्रबंधक (पर्यावरण)] काजीरंगा नेशनल पार्क, डिब्रूगढ़ से 235 km एवं गुवाहाटी से लगभग 220 km की दूरी पर है । जोरहाट रेलवे स्टेशन से इसकी दूरी 90 km है। काजीरंगा नेशनल पार्क की यात्रा मैंने परिवार के साथ डिब्रुगढ़ से शुरू की। डिब्रूगढ़, रेल एवं वायु मार्ग द्वारा देश के विभिन्न हिस्सों से जुड़ा हुआ है। डिब्रूगढ़ से काजीरंगा नेशनल पार्क टॅक्सी एवं बस से जाया जा सकता है। काजीरंगा नेशनल पार्क असम के गोलाघाट, नगाँव और शोणितपुर जिलों में स्थित है। डिब्रूगढ़ से सुबह 10 बजे निकलने पर हम 4 बजे तक काजीरंगा नेशनल पार्क के कोहोरा रेंज पहुँच चुके थे जहाँ एक रेस्ट हाउस में हमारे ठहरने की व्यवस्था थी। रेस्ट हाउस के माध्यम से हमने सुबह 6 से 7 बजे के लिए कोहोरा रेंज से एलिफ़ेंट सफारी के लिए बुकिंग की। उसी दिन के लिए हमने बागोरी रेंज से जीप सफारी के लिए 10 बजे से 12 बजे के लिए बुकिंग की । काजीरंगा का एक संरक्षित क्षेत्र के रूप में इतिहास वर्ष 1904 से प्रारंभ होता है, जब मेरी कर्ज़न, जो तत्कालीन भारत के वायसराय लॉर्ड कर्ज़न की पत्नी थीं, ने क्षेत्र का दौरा किया। जिस ...
महुआ – भारत की जनजातीय आबादी के लिए वरदान
Picture Source : https://www.aranyapurefood.com/blogs/news/mahua-tree-kalpvriksra-of-tribal-area https://www.sourcedjourneys.com/post/the-tree-of-life http://anyflip.com/zptxm/ambt मधुका लॉन्गीफोलिया अथवा इंडियन बटर ट्री जिसे सामान्य भाषा में महुआ कहते हैं सैपोटेसी परिवार का एक महत्वपूर्ण वृक्ष है । यह वृक्ष मध्य भारतीय राज्यों की जनजातीय आबादी के लिए सामाजिक तथा आर्थिक रूप से अत्यंत महत्वपूर्ण है । भारत में यह वृक्ष मुख्य रूप से पश्चिमी, मध्य तथा दक्षिणी भारत के अर्ध-पर्णपाती शुष्क वनों में पाया जाता है तथा इसका विस्तार मुख्यतः आंध्र प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, गुजरात, झारखंड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में है । यह एक बहुउद्देशीय वृक्ष है जिससे भोजन, ईंधन, लकड़ी, हरित खाद, तेल, खली, शराब प्राप्त होती है तथा यह अनेक उत्पादों के लिए कच्चा माल उपलब्ध कराता है। वृक्ष विवरण महुआ एक मध्यम से बड़े आकार का पर्णपाती एवं तीव्रता से बढ़ने वाला वृक्ष है जिसकी ऊँचाई 20-25 मीटर तक हो सकती है। इसकी लकड़ी कठोर से अति कठोर श्रेणी की होती है जिसमें सैपवुड की मात्रा अधिक होती है तथा हार्डवुड भूरे-लाल रंग की होती है । पत्तियाँ जो शाखाओं के सिरों के पास एकत्रित होती हैं, अण्डाकार या लंबाकार-अण्डाकार, चिकनी तथा रोमरहित होती हैं। युवा पत्तियाँ गुलाबी-लाल और निचली सतह पर रोमिल होती हैं। फूल सफेद-क्रीम रंग के तथा ट्यूबुलर ...