Environment

काप–13 में एनएचपीसी की प्रतिभागिता और कुछ विमर्श; आलेख 1; वह सारस जिसने दुनिया को पहली कविता दी

वैश्विक समिट काप–13 में एनएचपीसी की प्रतिभागिता और कुछ विमर्श   प्रवासी जीवजगत पर केंद्रित वैश्विक समिट काप – 13 में एनएचपीसी ने प्रतिभागिता की तथा पर्यावरण संरक्षण और संवर्धन को लेकर किए जा रहे निगम के प्रयासों को देशी-विदेशी आगंतुकों के समक्ष प्रस्‍तुत किया। एनएचपीसी के स्टॉल पर पर्यावरण प्रबंधन से जुड़े कार्यों के सचित्र पोस्टर लगाए गए, जिनमे जैव-विविधता संरक्षण, विलुप्त होने वाले जीवों के संरक्षण से संबंधित कार्यों, जलागम क्षेत्र के लिए किए गए उपचारात्मक कदमों, निक्षेप प्रबंधन, मत्स्य प्रबंधन आदि को प्रदर्शित किया गया था। स्टॉल पर डॉक्यूमेंट्री फिल्म भी चलाई गई जिसके माध्यम से निगम की पर्यावरण प्रिय छवि को उजागर किया गया। इस अवसर पर, प्रवासी जीव जगत पर केंद्रित कार्यो, मॉडलों तथा तस्‍वीरों को, देश के विभिन्‍न संस्‍थाओं, वन विभागों, एनजीओ आदि के द्वारा लगाई गई प्रर्दशनी में प्रस्‍तुत किया गया था। कुछ महत्‍वपूर्ण प्रस्‍तुतियों पर चर्चा इस विमर्ष के लिए आवश्‍यक है कि मनुष्‍यों में प्राणीजगत को आज किस स्थिति में पहुंचा दिया है, हम कैसे प्रकृति और पर्यावरण का सरंक्षण कर सकते हैं।   वह सारस जिसने दुनिया को पहली कविता दी   प्रर्दशनी में एक स्‍टाल पर सारस पक्षी के लोमहर्षक चित्र प्रस्‍तुत किए गए थे। सारस अर्थात् कौंच.....वही पक्षी ...

 March 17, 2020


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काप–13 में एनएचपीसी की प्रतिभागिता और कुछ विमर्श; आलेख 2; टिड्डियों के झुंड से असंख्‍य बाज

  टिड्डियों के झुंड से असंख्‍य बाज   बाज को जब देखा इक्‍का दुक्‍का ही देखा गया है। यह अप्रतिम शिकारी पक्षी लंबी लंबी यात्रायें करता हैं इससे कमोबेश कम लोग ही वाकिफ हैं। नागालैण्‍ड, इनकी बडी तादात का स्‍वागत करता है। प्रवासी जीव जगत पर आधारित वैश्विक समिट काप-13 में प्रतिभागिता करते हुए नागालैण्‍ड वन विभाग के स्‍टाल पर फैल्कोन अथवा बाज की महत्‍वपूर्ण जानकारियां उपलब्‍घ कराई गई थीं। नागालैण्‍ड में आगंतुक अमूर फाल्‍कन मूलत: रूस के साइबेरिया क्षेत्र का निवासी है जो नवंबर में वर्फबारी की ठीक पहले अनुकूल मौसम और भोजन की तलाश में भारत होते हुए अफ्रीका निकल जाते हैं। नागालैण्‍ड इन प्रवासी बाजों का मुख्‍य ठिकाना हैं। वन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि पहले इन प्रवासी बाजों के नागालैण्‍ड पहुंचतें हीं बडी संख्‍या में शिकार आरम्‍भ हो जाता था। समय के साथ जागरूकता आई है और अब इनका स्‍वागत-संरक्षण कार्य हो रहा हैं। ये बाज औसतन एक माह में लगभग बाईस हजार किलोमीटर से अधिक की दूरी तय कर लेते हैं। ये प्रवासी जब नागालैण्‍ड आते हैं, तो इतनी बडी संख्‍या में कि आकाश ढक लेते हैं -टिड्डियों के झुंड की तरह असंख्‍य।   बाज एक शिकारी पक्षी हैं जो लगभग साढे तीन सौ ...

 March 17, 2020


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काप–13 में एनएचपीसी की प्रतिभागिता और कुछ विमर्श; आलेख 3; लक्षद्वीप के पर्यावरण पर मनभावन पेटिंग्स्

लक्षद्वीप के पर्यावरण पर मनभावन पेटिंग्‍स   गांधीनगर में आयोजित वैश्विक समिट काप-13 में अन्‍य कार्यक्रमों के अतिरिक्‍त पर्यावरण के लिए काम करने वाली विभिन्‍न संस्‍थाओं-एजेंसियों-पीएसयू और एनजीओ के कार्य का प्रदर्शन किया गया था। एक प्रभावित करने वाला स्‍टाल, वन विभाग लक्षद्वीप का था। लक्षद्वीप, अरब सागर में अवस्थित 36 द्वीपों वाला, भारत का एक केंद्रशासित प्रदेश है। जनसंख्‍या के मामले में यह भारत का सबसे छोटा केंद्र शासित प्रदेश है। इसकी राजधानी करावती है। यहां का प्रशासन भारत सरकार द्वारा नियुक्‍त राज्‍यपाल द्वारा देखा जाता है। यह प्रदेश लगभग 32 वर्ग किमी में फैला हुआ है। यहां की लगभग 97 प्रतिशत आबादी मुस्लिम समुदाय की है (विकीपीडिया हिन्दी)।   लक्षद्वीप वन विभाग के स्‍टाल पर पर्यावरण जागरूकता प्रसारित करने के लिए फोटोग्राफ के स्‍थान पर अलग ही रचनात्‍मकता का सहारा लिया गया था। यहां लक्षद्वीप के पर्यावरण पर केंद्रित पेंटिंग प्रदर्शित की गयी थी। ये पेंटिंगस न केवल प्रदर्शनी का आकर्षक बना रही थी बल्कि देखने वालों को लक्षद्वीप का पर्यावरण समझने और उसके संरक्षण के लिये प्रतिबद्ध होने के दृष्टिगत बाध्‍य भी कर रही थी। पेटिंगस देखकर समझा जा सकता है कि कैसे अरब सागर में केरल के समुद्र तट से चार सौ किमी तक विशाल समुद्र ...

 March 17, 2020


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