टिड्डियों के झुंड से असंख्‍य बाज

 

बाज को जब देखा इक्‍का दुक्‍का ही देखा गया है। यह अप्रतिम शिकारी पक्षी लंबी लंबी यात्रायें करता हैं इससे कमोबेश कम लोग ही वाकिफ हैं। नागालैण्‍ड, इनकी बडी तादात का स्‍वागत करता है। प्रवासी जीव जगत पर आधारित वैश्विक समिट काप-13 में प्रतिभागिता करते हुए नागालैण्‍ड वन विभाग के स्‍टाल पर फैल्कोन अथवा बाज की महत्‍वपूर्ण जानकारियां उपलब्‍घ कराई गई थीं। नागालैण्‍ड में आगंतुक अमूर फाल्‍कन मूलत: रूस के साइबेरिया क्षेत्र का निवासी है जो नवंबर में वर्फबारी की ठीक पहले अनुकूल मौसम और भोजन की तलाश में भारत होते हुए अफ्रीका निकल जाते हैं। नागालैण्‍ड इन प्रवासी बाजों का मुख्‍य ठिकाना हैं। वन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि पहले इन प्रवासी बाजों के नागालैण्‍ड पहुंचतें हीं बडी संख्‍या में शिकार आरम्‍भ हो जाता था। समय के साथ जागरूकता आई है और अब इनका स्‍वागत-संरक्षण कार्य हो रहा हैं। ये बाज औसतन एक माह में लगभग बाईस हजार किलोमीटर से अधिक की दूरी तय कर लेते हैं। ये प्रवासी जब नागालैण्‍ड आते हैं, तो इतनी बडी संख्‍या में कि आकाश ढक लेते हैं -टिड्डियों के झुंड की तरह असंख्‍य।

 

बाज एक शिकारी पक्षी हैं जो लगभग साढे तीन सौ किमी प्रति घंटे से भी अधिक गति से उड सकता है। इस मांसाहारी पक्षी का जीवनकाल लगभग सत्रह वर्ष होता है। बाज केवल आसमान का सबसे तेज ही नहीं अपितु धरती पर सबसे तेज दौडने वाला पक्षी माना जाता है। बाज यूनाईटेड अरब अमीरात का राष्ट्रीय पक्षी है साथ ही शिकागो शहर द्वारा भी इसे सिटी बर्ड घोषित किया गया है। द्वितीय विश्‍व युद्ध में कबूतरों द्वारा भेजे जाने वाले संदेशी को राकने के लिए बाज का इस्‍तेमाल किया जाता था।

 

नागालैण्‍ड वैसे भी अनुपम और अतुलनीय है लेकिन जो बात सर्वाधिक भाती है वह है यहाँ के निवासियों का अपनी संस्‍कृति और पहचान से प्‍यार। समय के साथ सब कुछ बदलता है, परम्‍परागत कला और पहनावा भी प्रभावित होता है लेकिन यह बदलाब कैसा होना चाहिये नगा-लोगों से सीखना चाहिए। आधुनिक संगीत के प्रति नगा लोकजीवन का झुकाव है तो परम्‍परागत वाद्यों से नयी धुने निकालना सीख लिया। जीवन शैली बदलाव की दिशा तय करने लगी तो बांस से बनने वाली कलाकृतियां शहरों के सामने आईना रखने लगी। नागालैण्‍ड के स्‍टाल पर केवल बाज पक्षी की जानकारी नहीं अपितु इस क्षेत्र की संस्‍कृति की झलख भी देखने को मिली। बदलाव का अर्थ अपनी पहचान मिटा देना हरगिज नहीं होता …..शानदार, बेमिसाल नागालैण्‍ड।

 

गौरव कुमार, उप-महाप्रबंधक पर्यावरण

राजीव रंजन प्रसाद, वरिष्‍ठ प्रबंधक पर्यावरण

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संकलन: वैश्विक समिट काप – 13 में प्रदर्शित प्रवासी जीव जगत पर केंद्रित कार्यो, मॉडलों तथा तस्‍वीरों के आधार पर।