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सीमएस में भारत की भूमिका :

 

भारत 1983 से सीएमएस के लिए एक पार्टी है और विभिन्न प्रजातियों के संरक्षण पर कई समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर कर चुका है। भारत ने साइबेरियन क्रेन (1998), मरीन टर्टल (2007), डुगोंग्स (2008) और रैप्टर (2016) के संरक्षण और प्रबंधन पर सीएमएस के साथ समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किया है ।

 

विशेष रूप से, भारत एक प्रमुख पक्षी फ्लाईवे नेटवर्क है, क्योंकि यह मध्य एशियाई फ्लाईओवर (CAF) बेल्ट में आता है, जो आर्कटिक और भारतीय महासागरों के बीच एक विशाल क्षेत्र को कवर करता है और प्रवासी पक्षियों की लगभग 300 प्रजातियों का घर है, जिनमें से विश्व स्तर पर संकटग्रस्त 29 को सूचीबद्ध किया गया है।

 

सीएमएस सीओपी के 13वें सम्मेलन में बाघ, शेर, हाथी, हिम तेंदुआ, गैंडा और भारतीय बस्टर्ड जैसे वन्यजीव संरक्षण में भारतीय प्रयासों एवं सफलताओं पर भी प्रकाश डाला गया।

 

सीएमएस द्वारा जारी एक आधिकारिक बयान में घोषणा की गई, ‘सूची में शामिल नए जानवर एशियाई हाथी, जगुआर, ग्रेट इंडियन बस्टर्ड और स्मूथ हैमरहेड शार्क हैं। हाल ही में हस्ताक्षरित गांधीनगर घोषणा में जिराफ, गंगा नदी डॉल्फिन, कॉमन गिटारफिश और अल्बाट्रॉस के लिए ठोस कार्रवाई भी शामिल होगी।’

 

पार्टियों का सम्मेलन (COP)-13 का महत्व:

 

पार्टियों का सम्मेलन (COP)-13 कन्वेंशन के दौरान  एशियाई हाथी, जगुआर, ग्रेट इंडियन बस्टर्ड, बंगाल फ्लोरिकन, लिटिल बस्टर्ड, एंटीपोडियन अल्बाट्रॉस और ओशन व्हाइट-टिप शार्क को सीएमएस परिशिष्ट-I में जोड़ा गया है। इसके अतिरिक्त इस सम्मेलन के दौरान द यूराल, स्मूथ हैमरहेड शार्क और टोपे शार्क को सीएमएस के परिशिष्ट-II के तहत संरक्षण के लिए सूचीबद्ध किया गया है। COP13 में इस बात पर सहमति व्यक्त की कि विभिन्न प्रवासी जानवरों और पक्षियों की प्रजातियों की स्थिति को बेहतर ढंग से समझने के लिए एक अधिक व्यापक समीक्षा एवं सार्थक प्रयास की जानी चाहिए और प्रमुख खतरों का सामना करने के लिए व्यापक रणनीति पर अमल किया जाना चाहिए।

 

सीएमएस सीओपी के 13वें सम्मेलन का दिनांक 22.02.2020 को गांधीनगर में का समापन हुआ जिसमें “पारिस्थितिक कनेक्टिविटी” और वन्य प्राणियों के प्रवासी प्रजातियों के संरक्षण हेतु वैश्विक सहयोग और भागीदारी के महत्व पर विशेष बल दिया गया। इसे लागू करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय, क्षेत्रीय, द्विपक्षीय और सीमा सहयोग के लिए एक स्पष्ट प्रतिबद्धता को शामिल करने के लिए “2020 के बाद की वैश्विक जैव विविधता रूपरेखा” का भी आह्वान किया गया।

 

भारत 1983 से ही सीएमएस के लिए एक पार्टी के रूप में प्रवासी प्रजातियों के संरक्षण हेतु वैश्विक सहयोग और भागीदारी देता रहा है। 13वें सम्मेलन (सीओपी) की मेजबानी के साथ  भारत ही को अगले तीन वर्षों के लिए सीएमएस का नेतृत्व करने का अवसर प्राप्त हुआ है। उम्मीद है भारत द्वारा अपने वन्यजीव प्रजातियों के लिए किए गए विभिन्न संरक्षण उपायों के अनुभव से विश्व के अन्य देश भी लाभान्वित होगा ।

 

– कुमार मनोरंजन सिंह, वरिष्ठ प्रबंधक (पर्यावरण)