पर्यावरण एक व्यापक विषय है, जिसका महत्वपूर्ण घटक है – अपशिष्ट प्रबंधन। आज हम उस अपशिष्ट की बात करते हैं, जिसे बचाया जा सकता था, उपयोग में लाया जा सकता था और ऐसा करते हुए हम देश की गरीबी और भुखमरी जैसी बडी समस्याओं का समाधान प्रदान करने की दिशा में अग्रसर हो सकते थे। क्या आपने कभी सोचा है कि होटलों-रेस्टॉरेंट मे खाना खाते हुए, शादी-ब्याह आदि अवसरों पर अथवा बैठक पार्टी में हम स्वयं कितना भोजन बरबाद करते हैं? इन अवसरों पर प्राय: लोग आवश्यकता से अधिक अपनी थाली में परोस लेते हैं, उसे पूरा खा नहीं पाते, अंतत: बड़ी  मात्रा में खाना फेंक दिया जाता है। अन्न की यह बरबादी कचरे का रूप धारण कर लेती है, जो सड़ती गलती हुई बीमारियाँ फैलाने का कारक भी बनती हैं।

 

दुनियाभर में प्रति वर्ष जितना भोजन तैयार होता है उसका एक तिहाई बर्बाद चला जाता है। भारत में प्रतिवर्ष 25.1 करोड़ टन खाद्यान्न का उत्पादन होता है लेकिन प्रत्येक चौथा भारतीय भूखा सोता है। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में प्रतिवर्ष  23 करोड़ टन दाल, 12 करोड़ टन फल और 21 करोड़ टन सब्जियां वितरण प्रणाली में खामियों के कारण खराब हो जाती हैं। विश्व खाद्य संगठन के मुताबिक भारत में हर साल 50 हजार करोड़ रुपए का भोजन बर्बाद हो जाता है, जो कि देश के खाद्य उत्पादन का चालीस प्रतिशत है। देश पानी की कमी से जूझ रहा है, अपव्यय किए जाने वाले इस भोजन को पैदा करने में जो पानी व्यर्थ होता है उससे दस करोड़ लोगों की प्यास बुझाई जा सकती है।

 

सुखद है कि समस्या की पहचान के साथ ही इसपर अनेक स्तरों पर काम आरम्भ हो गया है। विश्वभर में होने वाली भोजन की बर्बादी को रोकने के लिए विश्व खाद्य एवं कृषि संगठन, अंतरराष्ट्रीय कृषि विकास कोष और विश्व खाद्य कार्यक्रम ने एकजुट होकर अनेक परियोजनाएं  संचालित की हैं। भारत में फीडिंग जैसी स्वयंसेवी संस्थाएं आगे आई हैं, जिन्होंने विभिन्न पार्टियों-समारोहों आदि में बचे हुए स्वच्छ अन्न को वैज्ञानिक ढंग से रेफ्रीजरेटेड पात्रों में एकत्रित करके जरूरतमंदों तक पहुंचाने की अच्छी पहल की है। इसी तरह मुंबई में डिब्बेवालों ने भी रोटी बैंक की शुरुआत की है, जिसमें बचे हुए खाने को गरीब भूखे लोगों तक पहुंचाया जाता है। देश भर में अर्थव्यवस्था की अभिवृद्धि पर सेमीनार होते हैं, गरीबों के जीवनस्तर को उपर उठाने की बातें होती हैं लेकिन खाने की बर्बादी रोकने जैसा छोटा सा कदम भी गरीबी और भुखमरी की रोकथाम हो सकता है। यह कदम पर्यावरण सुधार की दिशा भी प्रशस्त करेगा।

 

हरीश कुमार

मुख्य महाप्रबंधक (पर्यावरण एवं विविधता प्रबंधन)

 

Image source = https://www.agri-pulse.com/articles/10796-us-china-trade-aggression-threatens-rice-deal