पर्यावरण एवं विविधता प्रबंधन विभाग द्वारा हिन्दी/द्विभाषी में तैयार की गई ‘एनएचपीसी- हरित प्रयासों से सतत जलविद्युत विकास” पुस्तिका का श्री ए.के. सिंह , सीएमडी, एनएचपीसी की उपस्थिति में विमोचन करते मुख्य अतिथि डॉ. सुमीत जैरथ, सचिव (राजभाषा), राजभाषा विभाग, गृह मंत्रालय, भारत सरकार।

 

पर्यावरण एवं विविधता प्रबंधन विभाग द्वारा द्विभाषिक पुस्तिका  “एनएचपीसी : हरित प्रयासों से सतत जलविद्युत विकास / NHPC – Green Endeavours for Sustainable Hydropower”  तैयार की गई है। सामाजिक रूप से एक जिम्मेदार संगठन के रूप में, एनएचपीसी अपनी जलविद्युत परियोजनाओं के निर्माण के समय, निर्माण के पश्चात और संचालन के विभिन्न चरणों के दौरान पर्यावरण की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। जब देश के दूरदराज और पहाड़ी क्षेत्रों में प्राकृतिक स्रोत के रूप में उपलब्ध नदी जल  का उपयोग कर प्रदूषण मुक्त और स्वच्छ बिजली उत्पन्न करने के लिए जल विद्युत परियोजनाओं के विकास की बात आती है, तब एनएचपीसी का मंत्र “पर्यावरण पहले” सर्वप्रथम उजागर होता है। एनएचपीसी द्वारा अपनी परियोजनाओं और उसके आसपास के क्षेत्रों में प्रकृति को संरक्षित कर, भावी पीढ़ी के लिये हरा-भरा पर्यावरण सुनिश्चित करने के दृष्टिगत हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं ।

 

एनएचपीसी द्वारा परियोजनाओं के निर्माण अथवा संचालन के दौरान पर्यावरण पर पड़ने वाले किसी भी संभावित नकारात्मक प्रभाव को कम करने के लिए साथ ही साथ संरक्षण एवं सामाजिक-आर्थिक उन्नयन के दृष्तिगत पर्यावरण प्रबंधन योजनायें निर्मित एवं कार्यान्वयित की जाती हैं जिनमें  – जैव विविधता संरक्षण, जलागम क्षेत्र उपचार, क्षतिपूरक वनीकरण योजना, ग्रीन बेल्ट विकास योजना, मलवा निस्तारण और खदान स्थलों का पुनरुद्धार, जलाशय रिम उपचार, मत्स्य प्रबंधन, स्वास्थ्य प्रबंधन, सामाजिक आर्थिक विकास, पुनर्वास और पुनर्स्थापना योजना इत्यादि प्रमुख हैं। पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा एनएचपीसी के पर्यावरण प्रबंधनों एवं पर्यावरण और वन स्वीकृति पत्रों के अनुसार निर्धारित पर्यावरण संरक्षण प्रयासों / कार्यों की समयबद्ध तथा गुणवत्तापूर्ण  पूर्ति किये जाने के लिये विभिन्न मंचों पर सराहना की गई है, ऐसी परियोजनाओं में  पार्बती-II परियोजना में जैव विविधता संरक्षण और मलवा निस्तारण उपाय; तीस्ता-V में जलागम क्षेत्र उपचार के कार्य आदि महत्वपूर्ण हैं ।

 

एनएचपीसी द्वारा पावर स्टेशनों के निर्माण पश्चात पर्यावरणीय एवं सामाजिक प्रभाव आकलन अध्ययन भी कराया गया है। यह आकलन अध्ययन सर्वप्रथम जम्मू-कश्मीर स्थित उरी-l (480 मेगावाट) पावर स्टेशन के लिए किया गया; तत्पश्चात सिक्किम स्थित रंगित (60 मेगावाट) पावर स्टेशन; और उत्तराखंड स्थित धौलीगंगा चरण-l (280 मेगावाट) पावर स्टेशन एवं सिक्किम स्थित तीस्ता-V (510 मेगावाट) पावर स्टेशन के लिए कराया गया है।

 

इस संदर्भ में, यह पुस्तिका शीर्षक “एनएचपीसी : हरित प्रयासों से सतत जलविद्युत विकास” न केवल निगम मुख्यालय के स्तर पर अपितु एनएचपीसी के विभिन्न पावर स्टेशनों और परियोजनाओं द्वारा पर्यावरण एवं सामाजिक आर्थिक क्षेत्रों में किए गये कार्यों को संकलित कर उसे समग्र स्वरूप में प्रस्तुत करती है। यह पुस्तिका, निगम की सतत विकास के लिये प्रतिबद्धता तथा स्वच्छ विद्युत उत्पादन करते हुए, राष्ट्र की प्रगति में योगदान के प्रति प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करती है।