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क्र. शब्द अर्थ
1 ई – कचरा

(E-waste)

इलेक्ट्रॉनिक कचरा या ई-कचरा, इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों के लिए एक शब्द है जो अवांछित, अनुपयोगी या अप्रचलित हो गया है और अनिवार्य रूप से उनके उपयोगी जीवन के अंत तक पहुंच गया है। प्रौद्योगिकी उच्च दर पर आगे बढ़ती है, कई इलेक्ट्रॉनिक उपकरण कुछ वर्षों के उपयोग के बाद “कचरा” बन जाते हैं। वास्तव में, पुरानी इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं की पूरी श्रेणियां ई-कचरे में योगदान करती हैं।

 

2 ई. कोलाई

(E.coli)

ई- कोलाई (एस्चेरिचिया कोलाई/ Escherichia coli), एक प्रकार का बैक्टीरिया है जो आमतौर पर  स्वस्थ लोगों और जानवरों की आंतों में रहता है। इसके अधिकांश प्रकार हानिरहित हैं और यहां तक कि पाचन तंत्र को स्वस्थ रखने में मदद करते हैं। लेकिन इसकी कुछ प्रजातियों के कारण दस्त हो सकते हैं यदि संक्रमित भोजन या पानी ग्रहण किया जाता है जैसे ई-कोलाई O157: H7 पेट में  गंभीर ऐंठन, खूनी दस्त और उल्टी पैदा कर सकता है।

 

3 उच्च ध्वनि स्तर

(Loudness level)

लोगों में  ध्वनि/शोर के प्रभाव अलग-अलग होते हैं। कुछ लोगों के कान ऊँची आवाज़ के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं, विशेषकर निश्चित आवृत्तियों पर। कोई भी आवाज़ जो बहुत तेज़ होती है और बहुत देर तक चलती है, कानों को नुकसान पहुंचा सकती है और सुनने की क्षमता कम करती है, उच्च ध्वनि स्तर कहलाती है। डेसीबल (dB) में ध्वनि की तीव्रता को मापा जाता है। सामान्य बातचीत का स्तर 60 डीबी, एक लॉन घास काटने की मशीन 90 डीबी और एक ज़ोरदार रॉक कॉन्सर्ट लगभग 120 डीबी तक तीव्र होता है। सामान्य तौर पर 85  डीबी से ऊपर की आवाजें हानिकारक होती हैं।

 

4 उत्तराधिकार/ पारिस्थितिक उत्तराधिकार

(Succession/Ecological Succession)

उत्तराधिकार/पारिस्थितिक उत्तराधिकार वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा जैविक समुदाय की संरचना समय के साथ विकसित होती है।यह समय के साथ एक पारिस्थितिक समुदाय की संरचना में प्रगतिशील परिवर्तनों की एक श्रृंखला है।उत्तराधिकार के दो अलग-अलग प्रकार प्राथमिक और माध्यमिक प्रतिष्ठित किए गए हैं।प्राथमिक उत्तराधिकार में पहली बार जीवित चीजों द्वारा नव उजागर या नवगठित चट्टान का उपनिवेश किया जाता है।द्वितीयक उत्तराधिकार में पहले जीवित चीजों द्वारा कब्जा कर लिया गया क्षेत्र अशांत होकर फिर से संगठित होता है।

 

5 उत्परिवर्तन

( Mutation)

उत्परिवर्तन आनुवांशिक अनुक्रम में परिवर्तन है और यह जीवों के बीच विविधता का एक मुख्य कारण हैं। ये परिवर्तन कई अलग-अलग स्तरों पर होते हैं और उनके व्यापक रूप से भिन्न परिणाम हो सकते हैं। जैविक प्रणालियों में जो प्रजनन में सक्षम हैं, कुछ उत्परिवर्तन केवल उस व्यक्ति को प्रभावित करते हैं जो उन्हें वहन करते हैं जबकि अन्य वाहक जीव के सभी संतानों और आगे के वंश को प्रभावित करते हैं।

 

6 उत्प्रेरित अवमल

(Activated Sludge)

उत्प्रेरित अवमल एक गाढ़ा मुलायम पदार्थ होता है जिसका उपयोग ऑक्सीजन को सम्मिलित करते हुए जैविक प्रतिक्रिया द्वारा अपशिष्ट जल से प्रदूषकों को हटाने के लिए किया जाता है। इस विधि में दूषित जल में सूक्ष्म जीवाणुओं को अच्छी तरह मिलाकर  वायु-संचारण (aerate) किया जाता है, जिससे सूक्ष्म जीवाणुओं की कार्बनिक पदार्थयुक्त दूषित जल में तीव्रता से वृद्धि होती है। फलस्वरूप इनकी गतिविधियाँ बढ़ जाती है और ये तेजी से कार्बनिक पदार्थों को अपघटित कर देते हैं। इस विधि से कार्बनिक पदार्थ का अपघटन तेजी से होता है एवं इससे 90-95 प्रतिशत बीओडी (Biological Oxygen Demand) कम की जा सकती है।

 

7 उत्स्रवण

(Upwelling)

समुद्र की ऊपरी सतह पर बहने वाली हवाएँ पानी को दूर धकेलती हैं। पोषक तत्वों से भरपूर निचली सतह का पानी सतह के पानी के बहाव को बदलने के लिए गहरे स्तर से उठता है और ये पोषक तत्व इन क्षेत्रों में आमतौर पर पाई जाने वाली बड़ी मछली की आबादी के समर्थन के लिए जिम्मेदार होते हैं। इस प्रक्रिया को ” उत्स्रवण/उत्थान” के रूप में जाना जाता है। यह हवाओं और पृथ्वी के घूमने का एक परिणाम है।  उथल-पुथल की प्रभावशीलता और प्रचुर समुद्री जीवन का समर्थन करने की इसकी क्षमता थर्मोकलाइन (thermocline) * की गहराई पर बहुत निर्भर करती है।

* thermocline = an abrupt temperature gradient in a body of water such as a lake, marked by a layer above and below which the water is at different temperatures.

 

8 ऊसर भूमि

(Barren Land )

   अनुपजाऊ भूमि, जिसमें कुछ उत्पन्न न हो व जिसकी उत्पादन क्षमता कम होती है किंतु आधुनिक समय में विभिन्न तकनीकों द्वारा इसे पुन: उपजाऊ बनाया जा सकता है। इस प्रकार की भूमि प्राय: कृषि योग्य नहीं होती। इसमें सोडियम, पोटेशियम एवं मैग्नीशियम अधिक मात्रा में पाए जाते हैं। ऊसर भूमि की मिट्टी का पी.एच. मान 8.5 से ज़्यादा होता है। धान के पुवाल, गोबर की खाद, वर्मी कंपोस्ट का उपयोग करके ऊसर भूमि में उर्वरा शक्ति पैदा की जा सकती है।

 

9 उर्वरता/उपजाऊपन

( Fertility )

उर्वरता कृषि पौधे के विकास को बनाए रखने के लिए मिट्टी की क्षमता को संदर्भित करती है, अर्थात् मिटटी में उपस्थित वह गुण जो पौधे को आवास प्रदान करने के लिए आवश्यक होता है और उच्च गुणवत्ता की निरंतर और लगातार पैदावार बढ़ाने में सहायक होता है। मिट्टी उर्वरता में खनिजों जैसे नाइट्रोजन, पोटेशियम और फॉस्‍फोरस की उपस्थिति को मुख्यतः विचार में लिया जाता है।

 

10 उर्वरक

(Fertilizer)

उर्वरक ऐसे रसायनिक पदार्थ होते हैं जो पेड़-पौधों की वृद्धि में बहुत ही सहायक होते हैं। प्राय: पौधों को उर्वरक दो प्रकार से दिये जा सकते हैं- (1) ज़मीन में डालकर, जिससे ये तत्व पौधों की जड़ों द्वारा अवशोषित कर लिए जाते हैं। (2) पत्तियों पर इनका छिड़काव करने से पत्तियों द्वारा ये अवशोषित कर लिये जाते हैं। उर्वरक मुख्यतः पौधों के लिये आवश्यक तत्वों की पूर्ति करते हैं। उर्वरक, पौधों के लिये आवश्यक तत्वों की तत्काल पूर्ति के साधन हैं लेकिन इनके प्रयोग के कुछ दुष्परिणाम भी हैं। ये लंबे समय तक मिट्टी में बने नहीं रहते हैं। सिंचाई के बाद जल के साथ ये रसायन जमीन के नीचे भौम जलस्तर तक पहुँचकर उसे दूषित करते हैं। मिट्टी में उपस्थित जीवाणुओं और सुक्ष्मजीवों के लिए भी ये घातक साबित होते हैं। इसलिए उर्वरक के विकल्प के रूप में जैविक खाद का प्रयोग उपयुक्त है।

 

– पूजा सुन्डी

सहायक प्रबंधक ( पर्या. )

पर्यावरण शब्दकोष (3)