Environment
सलाल पावर स्टेशन में “अपना पेड़ महोत्सव” का आयोजन
दिनांक 25 जुलाई 2019 को सलाल पावर स्टेशन द्वारा ज्योतिपुरम आवासीय परिसर क्षेत्र को हरा भरा करने के उद्देश्य से "अपना पेड़ महोत्सव" का आयोजन किया गया। इस अवसर पर अधिकारियों व कर्मियों ने फायर स्टेशन परिसर, ज्योतिपुरम में आंवला और जामुन के लगभग 60 पौधे लगाकर इस अभियान को गति प्रदान की । वृक्षारोपण के लिए चुनी गई भूमि एक पूर्व निर्मित क्षेत्र थी, जिसे खुदाई करके पेड़-पौधे लगाने हेतु तैयार किया गया था। यह कार्यक्रम बारिश के मौसम के दौरान ज्योतिपुरम टाउनशिप परिसर में चल रहे वृक्षारोपण अभियान का हिस्सा था, जिसमें विभिन्न किस्मों जैसे आंवला, जामुन, अमरूद, नीम, फगोड़ा, बांस आदि के लगभग 500 पौधे निरंतर लगाए जा रहे हैं।
पर्यावरण वार्ता (अंक 6 )
चित्र : गैलेपागोस द्वीप समूह जैव विविधता संरक्षण हमेशा से एनएचपीसी की सभी परियोजनाओं की प्राथमिकता रहा है। जैव विविधता के नष्ट होने में मानव के क्रियाकलापों का क्या योगदान है तथा इसके दुष्प्रभावों को वैश्विक सन्दर्भों में भी समझने की आवश्यकता है । इसे गैलेपागोस द्वीप समूह के उदहारण से समझते हैं जो कि इक्वाडोर का एक भाग है। यह 13 प्रमुख ज्वालामुखी द्वीपों, 6 छोटे द्वीपों और 107 चट्टानों और द्वीपिकाओं से मिलकर बना है। इसका सबसे पहला द्वीप 50 लाख से 1 करोड़ वर्ष पहले निर्मित हुआ था। सबसे युवा द्वीप, ईसाबेला और फर्नेन्डिना, अभी भी निर्माण के दौर में हैं और इनमें आखिरी ज्वालामुखी उद्गार 2005 में हुआ था। ये द्वीप अपनी मूल प्रजातियों की बहुत बड़ी संख्या के लिए प्रसिद्ध हैं। चार्ल्स डार्विन ने अपने अध्ययन यहीं पर किए और प्राकृतिक चयन द्वारा विकासवाद का सिद्धांत प्रतिपादित किया। यह एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है। 2005 में लगभग 1,26,000 लोगों ने पर्यटक के रूप में गैलेपागोस द्वीपसमूह का भ्रमण किया। इससे न सिर्फ द्वीपों पर मौजूद साधनों को खामियाजा भुगतना पड़ा बल्कि पर्यटकों की बहुत बड़ी संख्या नें यहाँ के वन्यजीवन को भी प्रभावित किया है। इसके साथ ही यह भी देखे ...
पर्यावरण की समझ: एक विवेचना
Image address : https://sanitation.indiawaterportal.org/hindi/node/4033 पाठ्यपुस्तकों में पर्यावरण को समझाने वाली सभी परिभाषायें आधुनिक हैं। जब उद्योगों ने धरती, आकाश और पाताल कुछ भी नहीं छोडा तब हम एनवायरन्मेंट की बातें वैशविक सम्मेलनों में इकट्ठा हो कर करने लगे। भारत भी वर्ष 1986 के पश्चात से पर्यावरण सजग माना जाता है जबकि उसकी प्राचीन पुस्तकें यह मान्य करती हैं कि संपूर्ण सृष्टि पंचतत्त्वों अर्थात अग्नि , जल, पृथ्वी , वायु और आकाश से विनिर्मित हैं। पर्यावरण की सभी तरह की विवेचनायें क्या यहाँ पूर्णविराम नहीं पा जाती हैं? इन पंचतत्वों के संतुलन से हमारी प्रकृति और परिवेश निर्मित हैं और सुरक्षित भी, किसी भी एक तत्व का असंतुलन जैविक-अजैविक जगत को परिवर्तित अथवा नष्ट करने की क्षमता रखता है। आधुनिक परिभाषा कहती है कि पर्यावरण वह जो हमें चारों ओर से घेरे हुए है, ठीक यही हमारे शास्त्र कहते हैं कि परित: आवरणम (चारों ओर व्याप्त आवरण)। आधुनिक परिभाषा कहती है - पर्यावरण उन सभी भौतिक, रासायनिक एवं जैविक कारकों की समष्टिगत इकाई है जो किसी जीवधारी अथवा पारितंत्रीय आबादी को प्रभावित करते हैं तथा उनके रूप, जीवन और जीविता को तय करते हैं। यजुर्वेद में धरती, आकाश, पाताल, जल, वायु, औषधि आदि सभी के लिये शांति की कामना है - ...