Environment
रेडरमाचेरा ज़ाइलोकार्पा (गरुण) – एक संकटापन्न औषधीय वृक्ष
मनुष्यों द्वारा आत्महत्या सर्वविदित है, परंतु क्या कभी किसी ने सर्पों द्वारा आत्महत्या के विषय में सुना है? सुनने में यह बात भले ही आश्चर्यजनक लगे परंतु छत्तीसगढ़ राज्य के बस्तर जिले के कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान के निकट रहने वाले आदिवासियों का कथन है कि दरभा घाट के निकट स्थित गरुड़ वृक्ष के नीचे सर्प आत्महत्या करने जाते हैं तथा उन्होंने अनेक सर्पों को उस वृक्ष के नीचे मृत अवस्था में देखा भी है । इस वृक्ष का नाम भगवान विष्णु के वाहन ‘गरुण’ के नाम पर इसीलिए रखा गया है क्योंकि गरुण का मुख्य भोजन सर्प ही हैं । अनुमानतः इसी कारण से आदिवासी इस वृक्ष को सर्पनाशक मानते हैं । इस वृक्ष का वानस्पतिक नाम रेडरमाचेरा ज़ाइलोकार्पा (Radermachera xylocarpa) है, जो बिगनोनिएसी (Bignoniaceae) परिवार (family) का सदस्य है । इस वृक्ष के वंश (Genus) का नामकरण नीदरलैंड के एक विख्यात वनस्पतिज्ञ जैकोबस कॉर्नेलिअस मैथिअस रेडरमाचेर (1741-1783) के ऊपर किया गया है । इस वंश की 16 प्रजातियां दक्षिण-पूर्व एशिया तथा मलेशिया में एवं 3 प्रजातियां भारत में पाई जाती हैं । मध्य भारत में इसकी केवल एक प्रजाति रेडरमाचेरा ज़ाइलोकार्पा (गरुण) ही पाई जाती है । प्रकाशित तथ्यों के आधार पर मध्य भारत में इस वृक्ष ...
पर्यावरण वार्ता (अंक 17)
पर्यावरण के सिद्धांतों को जीवन में आत्मसात करना आवश्यक है, इस सम्बन्ध में महात्मा गाँधी अनुकरणीय हैं। एक संत, एक युगप्रवर्तक और स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के रूप में हम उन्हें जानते हैं परंतु एक पर्यावरण चिंतक के रूप में भी उनकी अनिवार्य रूप से चर्चा होनी चाहिये। विचार कीजिये कि पहनावे में खादी का प्रयोग, दार्शनिकता में अहिन्सा के तत्व तथा जीवन शैली में स्वच्छता का अनुसरण, क्या पर्यावरण संरक्षण के मूल सिद्धांत नहीं हैं ? गाँधी जी मानते हैं कि प्रकृति हमें पहनने-खाने का इतना कुछ देती है कि किसी लोभ के लिये उसका दोहन अनुचित है। यह धरती, इसमें बसने वाले प्रत्येक पेड़ पौधे और जीवजंतु की है, साथ ही जो गंदगी अथवा प्रदूषण जिसने फैलाया है उसको ही स्वच्छ करना होगा। इन तीन बिंदुओं पर ध्यान पूर्वक विचार करें तो आज पर्यावरण प्रिय जीवन शैली अपनाने के जो विचार हैं, सतत विकास की जो अवधारणा है एवं ‘पॉल्यूटर पेज़’ से जुड़ी नियमावलियाँ हैं, सब कुछ महात्मा गाँधी की विचार प्रक्रिया से उत्पन्न जान पड़ता है। उनका प्रसिद्ध कथन इसीलिये बार-बार वैशविक मंचों से उद्धरित भी किया जाता है कि प्रकृति सभी मनुष्यों की आवश्यकताओं को पूरा कर सकती है, उनके लालच को नहीं। “ 2 अक्टूबर को ...
अंक की तस्वीर
एनएचपीसी के 510 मेगावाट तीस्ता-V पावर स्टेशन, सिक्किम को इंटरनेशनल हाइड्रोपावर एसोसिएशन (IHA) से मिला 'ब्लू प्लैनेट प्राइज़' श्री ए.के. सिंह, सीएमडी, एनएचपीसी और श्री बाई.के. चौबे, निदेशक (तकनीकी), एनएचपीसी और अन्य वरिष्ठ अधिकारीगण तीस्ता V पावर स्टेशन को मिले आईएनए- ब्लू प्लैनेट प्राइज' ट्रॉफी के साथ एनएचपीसी के 510 मेगावाट तीस्ता-V पावर स्टेशन जो कि हिमालयी राज्य सिक्किम में स्थित है, को 120 देशों में संचालित लंदन स्थित गैर लाभकारी सदस्यता संघ इंटरनेशनल हाइड्रोपावर एसोसिएशन (आईएचए) द्वारा प्रतिष्ठित 'ब्लू प्लेनेट प्राइज' से सम्मानित किया गया है। एनएचपीसी के स्वामित्व वाले इस पावर स्टेशन का निर्माण एनएचपीसी द्वारा किया गया है और संचालन भी एनएचपीसी द्वारा किया जा रहा है। तीस्ता-V पावर स्टेशन के लिए इस पुरस्कार की घोषणा 23.09.2021 की वर्ल्ड हाइड्रोपावर कांग्रेस 2021 के दौरान की गई। यह पुरस्कार तीस्ता-V पावर स्टेशन को आईएचए के हाइड्रोपावर सस्टेनेबिलिटी असेसमेंट प्रोटोकॉल (एचएसएपी) के ऑपरेशन स्टेज टूल का उपयोग करके 2019 में आईएचए के मान्यता प्राप्त लीड असेसर्स की एक टीम द्वारा किए गए इसकी सस्टेनेबिलिटी असेसमेंट के आधार पर प्रदान किया गया। इस अवसर पर बोलते हुए श्री ए.के. सिंह, सीएमडी, एनएचपीसी ने कहा, "तीस्ता-V पावर स्टेशन का सस्टेनेबिलिटी असेसमेंट हमारे संगठन के लिए सीखने का अनुभव था ...