Environment

Floating Biomass of Loktak Lake (Phumdi)

Loktak Lake is not only the largest freshwater lake in northeast India but is also home to unique floating islands called “Phumdis”. These circular landmasses are made of vegetation, soil, and organic matter (at different stages of decomposition) that have been thickened into a solid form. Most of the mass of Phumdis lies below the water surface. The thickness of these floating islands varies from a few centimeters to around two meters. During the dry season, when water levels drop, the living roots of the Phumdis can reach the lake-bed and absorb nutrients. When the wet season returns, they again float, and the biomass, which has enough nutrients stored in the plants' roots, survives.   The largest mass of Phumdis are in the southern part of Loktak lake and the area has been notified as Keibul Lamjao National Park.  Phumdis are habitat of over 83 species of plants. Mammals like the sangai, hog deer, common otter, jungle cat, bamboo rat, fox, Indian civets, musk shrew, flying fox, and others live in the phumdis in Keibul Lamjao National Park. A large number of reptiles including tortoises, common lizards, and poisonous snakes like krait, viper, cobra, and python also inhabit the park. Both migratory ...

 January 27, 2023


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कृषि वानिकी (एग्रोफारेस्ट्री) – एक नवीन धारणा

सरल शब्दों में वनीय वृक्षों तथा फसलों की संयुक्त कृषि को कृषि वानिकी या एग्रोफारेस्ट्री कहते हैं । जबकि विस्तृत रूप में कृषिवानिकी एक प्रतिपालनीय भूमि प्रबंधन तंत्र है जो भूमि की उत्पादन शक्ति को बढ़ाता है एवं एक साथ अथवा क्रमिक रूप में फसलों (वृक्षीय फसलों सहित) तथा वन पौधों तथा/ अथवा जन्तुओं के उत्पादन को जोड़ता है । साथ ही साथ स्थानीय समुदाय द्वारा प्रयोग की जाने वाली कृषि रीतियों के अनुरूप प्रबंधन रीतियों को प्रवृत करता है । नम उष्ण क्षेत्रों में वृक्षों के रक्षण के अभाव में एक वर्षीय खाद्य फसलों का उत्पादन प्रायः कठिन होता है । इन क्षेत्रों की मृदा में पोषक तत्व शीघ्र रिसकर नीचे चले जाते हैं तथा इस क्षय को कृत्रिम रूप से पूरित करने का प्रयास किया जाता है, जबकि परंपरागत लघुस्तरीय तंत्रों के लिए यह निषेधार्थक है । वृक्षों के बिना सम्पूर्ण जैविक तथा भौतिक पर्यावरण शीघ्र विघटित हो जाता है । नम उष्ण क्षेत्रों की जंगली वनस्पतियों में वृक्षों का प्रमुख स्थान है तथा फसल उत्पादन अथवा पशुपालन अथवा दोनों के साथ वृक्ष उत्पादन के लिए समान भूमि का बहुप्रयोग, नम उष्ण मृदा की संरचना एवं उर्वरा शक्ति तथा जैविक एवं भौतिक पर्यावरण के अन्य घटकों के संरक्षण ...

 January 27, 2023


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अपने ध्वंस और पुनर्निर्माण के लिए इतिहास मे दर्ज है सुदर्शन बांध

सौराष्ट्र में गिरिनगर से निकलती सुवर्नरेखा (सुवर्णसुकता) नदी पर निर्मित सुदर्शन झील को भारत के आरम्भिक मानव-निर्मित झीलों में से एक माना जाता है, जिसके निर्माण-ध्वंस और पुनर्निर्माण की लोमहर्षक गाथा में लोककल्याण के लिये शासकों और तत्कालीन अभियंताओं का गहन संघर्ष परिलक्षित होता है। सुदर्शन झील का निर्माण चंद्रगुप्त मौर्य के शासन समय में उनके द्वारा नियुक्त सौराष्ट्र के  प्रान्तीय शासक पुष्यगुप्त ने कराया था। कालांतर में सम्राट अशोक के राज्यपाल तुशाष्प ने इस बांध तथा उससे जनित जलाशय में से सिंचन हेतु नहरें निकाली। अब चंद्रगुप्त मौर्य के समय का उल्लेख है तो महाविद्वान चाणक्य की चर्चा के बिना बात अधूरी रह जायेगी। यह सुख़द है कि चाणक्य ने अर्थशास्त्र में बांध के निर्माण, सिंचन व्यवस्था और कृषि पर बहुत विस्तार से लिखा है। उन्होंने अर्थशास्त्र में जल संग्रहण के लिए सेतु, नहर के लिए परिवह, जलाशय के लिए तातक, नदी जल के लिए नद्ययतना, नदी पर बनने वाले बांध के लिए नदिनीबंधयतन, इस बांध से निकली नहर के लिए निबंधयतन शब्दों का प्रयोग किया है। कौटिल्य ने लिखा है- आधारपरिवाहकेद्रोपभोग्या जिसका अर्थ है “जलागार की नहरों से सिंचित खेतों का उपयोग।” ये उदाहरण संक्षेप में इसलिये जिससे कि हम आश्वस्त हो सकें कि मौर्य शासन समय मे ...

 January 27, 2023


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