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पर्यावरण की समझ: एक विवेचना

Image address : https://sanitation.indiawaterportal.org/hindi/node/4033   पाठ्यपुस्तकों में पर्यावरण को समझाने वाली सभी परिभाषायें आधुनिक हैं। जब उद्योगों ने धरती, आकाश और पाताल कुछ भी नहीं छोडा तब हम एनवायरन्मेंट की बातें वैशविक सम्मेलनों में इकट्ठा हो कर करने लगे। भारत भी वर्ष 1986 के पश्चात से पर्यावरण सजग माना जाता है जबकि उसकी प्राचीन पुस्तकें यह मान्य करती हैं कि संपूर्ण सृष्टि पंचतत्त्वों अर्थात अग्नि , जल, पृथ्वी , वायु और आकाश से विनिर्मित हैं। पर्यावरण की सभी तरह की विवेचनायें क्या यहाँ पूर्णविराम नहीं पा जाती हैं? इन पंचतत्वों के संतुलन से हमारी प्रकृति और परिवेश निर्मित हैं और सुरक्षित भी, किसी भी एक तत्व का असंतुलन जैविक-अजैविक जगत को परिवर्तित अथवा नष्ट करने की क्षमता रखता है। आधुनिक परिभाषा कहती है कि पर्यावरण वह जो हमें चारों ओर से घेरे हुए है, ठीक यही हमारे शास्त्र कहते हैं कि परित: आवरणम (चारों ओर व्याप्त आवरण)। आधुनिक परिभाषा कहती है - पर्यावरण उन सभी भौतिक, रासायनिक एवं जैविक कारकों की समष्टिगत इकाई है जो किसी जीवधारी अथवा पारितंत्रीय आबादी को प्रभावित करते हैं तथा उनके रूप, जीवन और जीविता को तय करते हैं। यजुर्वेद में धरती, आकाश, पाताल, जल, वायु, औषधि आदि सभी के लिये शांति की कामना है - ...

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 |    July 18, 2019

Plantation Drive at CIDC, Faridabad Centre lead by NHPC

On the invitation of Construction Industry Development Council (CIDC), Shri Balraj Joshi, Chairman & Managing Director, NHPC led a plantation drive organised by CIDC at their Faridabad Centre. Shri Joshi was accompanied by Shri Arun Kumar Mishra, Executive Director (Environment & Diversity Management) and other senior officers of EDM Division.   Speaking on the occasion, Shri Joshi appreciated the efforts taken by CIDC towards environment conservation and expressed his gratitude for inviting NHPC to be part of this great cause.

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 |    July 18, 2019

Visit of NHPC Officers to China for the Joint Certificate Course on “Improved Management of Land Acquisition, Resettlement and Rehabilitation (LARR)

Shri Nikhil Kumar Jain, Director (Personnel), Shri Ekramul Haque, General Manager (Human Resources) and Shri Gaurav Kumar, Deputy General Manager (Environment) attended the Joint Certificate Course on “Improved Management of Land Acquisition, Resettlement & Rehabilitation (LARR) organized by the Administrative Staff College of India (ASCI), Hyderabad and National Research Centre for Resettlement (NRCR) Hohai University, Nanjing, China. During the course, the officers visited Three Gorges Project (22,500 MW), the World’s largest Hydropower Project along with other hydropower and pump storage projects in China viz. Gezhouba Dam ( 2715 MW), Yichang, Tianmuhu Pump Storage Project (1836 MW), Niyang etc. The course served as an ideal platform to understand the Land Acquisition, Resettlement and Livelihood restoration initiatives being undertaken by China, which has the largest numbers of dams in the world, with special reference to the Three Gorges Project.   An employee awareness session was also organized by the Training and Development Division on 9.07.2019 to share the experience of the participants on their visit to China. During the session, comprehensive insight was provided on the Three Gorges Project, its importance in respect of flood control, navigation, drinking water, tourism, environment conservation, fishery management etc. Special focus was on the initiatives taken ...

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 |    July 18, 2019

PHOTOGRAPH OF THE WEEK

Environmental Awareness Paintings ---------------   “Pakshivihar” at Indirasagar Power Station, NHDC (A Joint Venture of NHPC and Govt. of MP) has become major public attraction. As such, it was planned by Project Environment Division to use this site for spreading message of environmental awareness among natives and visitors. Twenty five boundary wall panels and three wall sides were selected for preparation of environmental awareness paintings, which were surrounding Pakshi vihar site.  A well known artist and Kalaratna Shri Baijnath Saraf and his team has prepared excellent paintings on various subjects related to nature and environment. It is also worthwhile to mention that the team of artists was comprising of women power only (girls of school and colleges). The team was so dedicated that they have worked in hot summer, even in temperature of 46-48 degrees and prepared an excellent art gallery for NHDC. The artist Shri Bajnath Saraf and his team has done this work on voluntary basis and dedicated there work for cause of environment.

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 |    July 18, 2019

Frequently Asked Questions (FAQs) 1

Picture source =  https://www.prpeak.com/news/fisheries-and-oceans-canada-seeks-herring-input-1.23107114   FISHERIES   Q. Does damming of river cause reduction in river flow downstream thereby causing loss in aquatic fauna? Ans.: Damming of river does cause reduction in natural river flow between dam and powerhouse, but a certain volume of water is released regularly as environmental flow/ minimum flow for sustenance of aquatic life in the downstream.   Q. What are the measures taken by NHPC in its Hydropower stations for management of impact on fisheries due to damming of river? Ans.: Various measures are taken by NHPC for management of impact on fisheries due to damming of river. Some of the measures are as under: Release of environmental flow of water in downstream of dam for sustenance of aquatic life of river as stipulated by Ministry of Env., Forests & Climate Change (MoEF & CC), Govt. of India based on prevailing norms and/or site specific scientific studies carried out through expert institutions.   Provision of Fish ladder in the barrage/dam of power stations to facilitate migration of fish across the barrier. The provisioning of Fish ladder depends upon the type and height of barrage/ dam.   Formulation of project specific Fisheries Management Plan in consultation with ...

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 |    July 18, 2019

पर्यावरण शब्दकोष (3)

Photograph Source : https://fineartamerica.com/featured/return-of-mother-nature-nick-gustafson.html?product=poster   क्र. सं. शब्द अर्थ 1 आर्द्रभूमि (Wetland) आर्द्रभूमि वह स्थान है जहाँ पानी भूमि से मिलता है। अर्थात् भूसतह का ऐसा भाग जो स्थाई रूप से या वर्ष के कुछ महीने जलमग्न रहता है।  इनमें मैंग्रोव, दलदल, नदी और झील,  नदीमुख-भूमि (Delta) , बाढ़ के मैदान और बाढ़ के जंगल, धान के खेत और यहाँ तक कि प्रवाल भित्तियाँ भी शामिल हैं।  आर्द्रभूमि  हर देश में और हर जलवायु क्षेत्र में, ध्रुवीय क्षेत्रों से उष्णकटिबंधीय तक और ऊंचाई से शुष्क क्षेत्रों तक मौजूद है। मानवकृत कृत्रिम जल स्थल जैसे मत्स्य पालन, जलाशय आदि भी वेटलैंड के अन्तर्गत हैं।प्रत्येक वेटलैंड का अपना पर्यातंत्र होता है अर्थात पारिस्थितिक तंत्र होता है। जैव विविधता होती है, वानस्पतिक विविधता होती है। ये वेटलैंड जलजीवों, पक्षियों, आदि प्राणियों के आवास होते हैं। मानवकृत कृत्रिम जल स्थल जैसे मत्स्य पालन, जलाशय आदि भी  आर्द्रभूमि के अन्तर्गत हैं।प्रत्येक  आर्द्रभूमि का अपना पारिस्थितिक तंत्र होता है, जैव विविधता एवं वानस्पतिक विविधता होती है। आर्द्रभूमि के क्षेत्र जलजीवों, पक्षियों आदि प्राणियों के आवास होते हैं।   2 आवास पारिस्थितिकी (Habitat ecology) पारिस्थितिकी तंत्र में आवास एक प्राकृतिक वातावरण का प्रकार है जिसमें जीव की एक विशेष प्रजाति रहती है। यह भौतिक और जैविक दोनों ...

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 |    July 18, 2019

पार्बती जल विद्युत परियोजना चरण-II की 15वीं पर्यावरण निगरानी समिति की बैठक

मुख्य महाप्रबंधक (प्रभारी) द्वारा कुल्लवी शाल पहनाकर समिति सदस्यों का स्वागत   पार्बती जल विद्युत परियोजना चरण-II, नगवाई की 15वीं पर्यावरण निगरानी समिति की बैठक दिनांक 11.06.2019 से 12.06.2019 तक संपन्न हुई। पर्यावरण निगरानी समिति की बैठक मुख्य महाप्रबंधक (प्रभारी), पार्बती –II परियोजना की अध्यक्षता एवं डॉ एस सी कटियार, अपर निदेशक/वैज्ञानिक –ई, क्षेत्रीय कार्यालय, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, देहरादून की उपस्थिति में संचालित हुई। बैठक के दौरान पर्यावरण विभाग के प्रभारी श्री एस एल कपिल, मुख्य महाप्रबंधक ने पर्यावरण प्रबंधन योजनाओं की प्रगति के बारे में विस्तार से समिति के सदस्यों को बताया। समिति की बैठक में राज्य वन विभाग, जीएचएनपी, राज्य प्रदूषणं नियंत्रण बोर्ड, राज्य मत्स्य विभाग एवं एनजीओ के प्रतिनिधि भी मौजूद रहे। डॉ एस सी कटियार एवं समिति के सदस्यों ने परियोजना के जलग्रहण उपचार क्षेत्र का स्थलीय निरीक्षण किया और किए गए पौधारोपण के कार्यों की प्रशंसा की। बैठक के दौरान श्री पी के मलिक, वरिष्ठ प्रबंधक (पर्यावरण) द्वारा परियोजना में पर्यावरण संबंधी कार्यों के क्रियान्वयन के बारे में बताया गया ।

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 |    July 18, 2019

पर्यावरण वार्ता (अंक 5 )

विश्‍व पर्यावरण दिवस हर वर्ष 5 जून को मनाया जाता है। भारत में पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी) द्वारा घोषित विशेष थीम पर केंद्रित कर विश्‍व पर्यावरण दिवस के आयोजन को विस्तार प्रदान करता है। इस वर्ष विश्व पर्यावरण दिवस का विषय ‘वायु प्रदूषण’ था। इसी क्रम में उल्‍लेखनीय है कि वायु प्रदूषण की समस्‍या से निदान पाने के दृष्टिगत  पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने 10.01.2019 को राष्‍ट्रीय स्‍वच्‍छ वायु कार्यक्रम (एनसीएपी) का आरम्भ किया है। यह एक मध्‍यमकालिक पंचवर्षीय कार्ययोजना है जिसमें 102 शहरों में पीएम 2.5 और पीएम 10 (सूक्ष्‍म धूल कण) के स्‍तर में 20-30 प्रतिशत की उल्‍लेखनीय कमी करने के लक्ष्‍य रखे गये हैं।   भारत में वायु प्रदूषण की रोकथाम के अनेक प्रयास सतत रूप से किये जाते रहे हैं। औद्योगिकरण के कारण पर्यावरण में निरंतर दूषित हो रही वायु तथा इसकी रोकथाम के लिए वायु (प्रदूषण एवं नियंत्रण) अधिनियम, 1981 अस्तित्व में आया। वायु प्रदूषण के स्रोतों जैसे उद्योगों, वाहनों, बिजलीघरों आदि को निर्धारित सीमा से अधिक कणपदार्थ, सीसा, कार्बन मोनोआक्साइड, सल्फर डाइआक्साइड, नाइट्रोजन आक्साइड, वाष्पशील कार्बन यौगिक या अन्य विषैले पदार्थ निस्तारित न करने देने के प्रावधानों सहित इसके लिये मानकों का निर्धारण किया गया। ...

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 |    June 14, 2019