Environment
कोविड-19 : लॉकडाउन और दिनचर्या
Image Source =https://www.lboro.ac.uk/news-events/news/2020/april/coronavirus-lockdown-sleeping-tips/ सोचा नहीं था कभी कि एक दिन एक खलनायक की कहानी इस तरह से दर्शानी पड़ेगी। आज मानवता के लिए जो सबसे बड़ा खलनायक है वो है कोरोना वायरस (कोविड-19)। कोरोना की कहानी कोई नई नहीं है। इस खानदान के बिगड़ैल वायरसों ने पहले भी कई बार मानव सभ्यता पर हमला किया है, लेकिन हर बार इंसानी जज्बे ने उस पर जीत हासिल की है। मगर हर पराजय के बाद वायरसों ने पहले से ज्यादा शक्ति हासिल कर इंसानों पर हमला किया है। एक बार फिर इस वंश के कोविड-19 ने पूरी दुनिया में तबाही मचा रखी है। हमारे भारत देश में माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने देशहित में 22 मार्च 2020 (01 दिन) को जनता कर्फ़्यू (लॉकडाउन); तत्पश्चात 25 मार्च से 14 अप्रैल (21 दिन) का लॉकडाउन(1.0); 15 अप्रैल से 03 मई (19 दिन) का लॉकडाउन(2.0); 04 मई से 17 मई (14 दिन) का लॉकडाउन(3.0); पुनः 18 मई से 31 मई (14 दिन) का लॉकडाउन(4.0) का एलान देशभर में किया गया। लॉकडाउन का मकसद कोरोना के संक्रमण को फैलने से रोकना है। इस दरम्यान लोगों को घरों में रहने को कहा गया।जून 2020 से पुरे देश में अनलॉकिंग की प्रक्रिया विभिन्न चरणों ...
कोरोनाकाल में कुछ कहना चाहती है प्रकृति
Image Source = https://www.newyorker.com/podcast/the-new-yorker-radio-hour/the-coronavirus-and-climate-change-the-great-crises-of-our-time शहर-दर-शहर सन्नाटे के जंगल बनते जा रहे हैं और हरे भर वन गुलजार हो गये हैं। आदमी घर के भीतर कैद रहने के लिये बाध्य है जबकि पशु-पक्षी मानो जश्न-ए-आजादी मना रहे हैं। घर की खिड़की खोल, जरा सलाखों से बाहर तो देखिये, ऐसा नीला आसमान देखे कितना समय गुजर गया? रात बाहर बालकनी में निकल कर आकाश को निहार, आप पायेंगे कि सितारे कुछ अधिक हैं, मोतियों जैसे जग-मग-जग-मग कर रहे हैं। कोरोना काल में इन्सान बेबस हो गया है जबकि उसका परिवेश और पर्यावरण नये परिधान पहन सजीला-छबीला हो चला है। अपनी जन्मभूमि चीन के वुहान शहर से दुनिया भर में फैला कोरोना वायरस मानव जनसंख्या पर और अर्थव्यवस्था पर चाहे जैसा भी प्रभाव डाल रहा हो, सकारात्मक बात यह है कि यह विभीषिका जीवन जीने के दर्शनशास्त्र को सामने रख रही है। धरती यदि बोल पाती तो अवश्य कहती कि उसकी संततियों में से नालायक मनुष्यों को लॉकडाउन में ही रहने की आवश्यकता है। देखो न, वे बंद हैं तो हवा साफ हो गयी, पानी निर्मल हो गया, मिट्टी में जहर घटने लगा। पंजाब के जालंधर में रहने वालों को वहां से हिमाचल प्रदेश में स्थित धौलाधार पर्वत श्रृंखला की चोटियां ...
Photograph of the Week
वनमहोत्सव के अंतर्गत एनएचपीसी में उल्लास से मनाया गया “अपना पेड़ कार्यक्रम” वनों का संरक्षण-संवर्धन अत्यधिक आवश्यक है इस दृष्टिकोण से एनएचपीसी ने सर्वदा निगम मुख्यालय सहित सभी परियोजना स्थलों में हरीरिमा की अभिवृद्धि में महति योगदान दिया है। इस कड़ी में प्रतिवर्ष जुलाई माह में सोल्लास मनाया जाने वाला वन महोत्सव एनएचपीसी द्वारा समारोहपूर्वक आयोजित किया गया। उल्लेखनीय है कि वन महोत्सव वर्ष 1950 में श्री कन्हैयालाल मुंशी, तत्कालीन केंद्रीय कृषि और खाद्य मंत्री द्वारा आरम्भ कराया गया था। इस उत्सवपूर्ण आयोजन द्वारा यह अपेक्षा की गई थी कि इससे लोगों में वृक्ष लगाने और बचाने की चेतना उत्पन्न होगी। इस आयोजन के तहत देश भर में लोगों द्वारा लाखों पौधे लगाए जाते हैं। एनएचपीसी निगम मुख्यालय में वन महोत्सव का आयोजन “अपना पेड़ कार्यक्रम” शीर्षक के साथ कॉलोनी परिसर में गेट क्रमांक-1 के निकट किया गया। इस अवसर पर श्री ए के सिंह, अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक महोदय ने सभी निदेशकगण और वरिष्ठ अधिकारियों एवं उनके परिवारजनों की उपस्थिति में पौधारोपण किया । इसके पश्चात समस्त निदेशकगण एवं वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा स्वयं एवं परिजनों के साथ उत्साहपूर्वक पौधे लगाये गये। तदोपरांत अपना पेड़ कार्यलय परिसर में पौधारोपण किया गया। निगम मुख्यालय के अनेक कार्मिकों ने इस ...