Environment
काप–13 में एनएचपीसी की प्रतिभागिता और कुछ विमर्श; आलेख 4; जीवित जीवश्म है माउस डियर
जीवित जीवश्म है माउस डियर तेलांगना वन विभाग ने प्रदर्शनी में एक ऐसे जीव के विषय में जानकारी प्रदर्शित की थी जिसे जीवित जीवाश्म भी कहा जा सकता है। वे जीव जो आज से लाखों वर्ष पहले इस पृथ्वी पर उत्पन्न होकर किसी प्रकार प्राकृतिक परिवर्तनों से अप्रभावित रहकर आज भी पृथ्वी पर पाये जाते हैं, जीवित जीवाश्म कहलाते है। जीवित जीवाश्म का पाया जाना यह प्रमाणित करता है कि जैव-विकास हुआ है। इस श्रृखंला में दुर्लभ प्रजाति के जीव माउस डियर से संबंधित जानकारियों और मॉडल को तेलांगना वन विभाग के स्टॉल में प्रदर्शित किया गया था। ‘माउस डियर’ बहुत ही रोचक जीव है जो कि चूहे से बडा और एक खरगोश के आकार का होता है। असामान्य रूप से छोटी हिरण की इस प्रजाति को सबसे छोटे खुर वाला स्तनधारी माना जाता है। माउस डियर का वजन लगभग चार से साढे चार किलो तक होता है। आगे से चूहे जैसा दिखने वाले इस हिरण के पीठ पर चांदी जैसी चमक होती है, इसलिए इसे सिल्वर-बैकेड चेवरोटाइन भी कहा जाता है। ग्लोबल वाइल्डलाइफ कंजर्वेशन के अनुसार आखिरी बार माउस डियर को वर्ष 1990 में देखा गया था, उसके बाद यह कहीं दिखाई नहीं दिया तो विशेषज्ञों ...
प्रवासी प्रजाति पर सम्मेलन (CMS); आलेख भाग -1: पार्टियों का सम्मेलन (COP)
Image Sourse = https://in.one.un.org/cms-cop-13/ प्रवासी प्रजाति पर सम्मेलन (सीएमएस), संयुक्त राष्ट्र की एक पर्यावरण संधि है, जिसमें विभिन्न देशों द्वारा पारिस्थितिक संयोजकता और कार्यक्षमता, अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और प्रवासी प्रजातियों संरक्षण के उपायों को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर बल दिया जाता है। सीएमएस वन्यजीव की प्रवासी प्रजातियों और उनके आवासों के संरक्षण पर अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के लिए एक प्रमुख समझौता है तथा पार्टियों का सम्मेलन (COP) इस अधिवेशन का निर्णय लेने वाली इकाई है। संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम के तत्वावधान में प्रवासी प्रजाति पर सम्मेलन - वन्य प्राणियों के संरक्षण पर पार्टियों का 13वां सम्मेलन (COP) का आयोजन 15 से 22 फरवरी, 2020 के दौरान गांधीनगर, गुजरात में आयोजित हुआ । 82 पार्टियों और वन्यजीव संरक्षण के क्षेत्र में काम करने वाले प्रतिष्ठित संरक्षणवादी संस्थानों और अंतरराष्ट्रीय गैर सरकारी संगठनों के प्रतिनिधियों ने इस सम्मेलन में भाग लिया । प्रवासी पक्षियों पर सम्मेलन (सीएमएस) यह सम्मेलन (सीएमएस) प्रवासी प्रजातियों और उनके आवासों के संरक्षण हेतु विचार-विमर्श करने के लिए एक वैश्विक मंच प्रदान करती है। विशेष रूप से, यह एकमात्र वैश्विक मंच है जो प्रवासी प्रजातियों, उनके प्रवास मार्गों और आवासों के कल्याण से संबंधित नीतिगत मामलों में सक्रिय रूप से भाग लेता है। सन 1979 में ...
प्रवासी प्रजाति पर सम्मेलन (CMS) आलेख भाग -2; सीमएस में भारत की भूमिका
Image Source = https://www.cms.int/en/cop13 सीमएस में भारत की भूमिका : भारत 1983 से सीएमएस के लिए एक पार्टी है और विभिन्न प्रजातियों के संरक्षण पर कई समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर कर चुका है। भारत ने साइबेरियन क्रेन (1998), मरीन टर्टल (2007), डुगोंग्स (2008) और रैप्टर (2016) के संरक्षण और प्रबंधन पर सीएमएस के साथ समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किया है । विशेष रूप से, भारत एक प्रमुख पक्षी फ्लाईवे नेटवर्क है, क्योंकि यह मध्य एशियाई फ्लाईओवर (CAF) बेल्ट में आता है, जो आर्कटिक और भारतीय महासागरों के बीच एक विशाल क्षेत्र को कवर करता है और प्रवासी पक्षियों की लगभग 300 प्रजातियों का घर है, जिनमें से विश्व स्तर पर संकटग्रस्त 29 को सूचीबद्ध किया गया है। सीएमएस सीओपी के 13वें सम्मेलन में बाघ, शेर, हाथी, हिम तेंदुआ, गैंडा और भारतीय बस्टर्ड जैसे वन्यजीव संरक्षण में भारतीय प्रयासों एवं सफलताओं पर भी प्रकाश डाला गया। सीएमएस द्वारा जारी एक आधिकारिक बयान में घोषणा की गई, 'सूची में शामिल नए जानवर एशियाई हाथी, जगुआर, ग्रेट इंडियन बस्टर्ड और स्मूथ हैमरहेड शार्क हैं। हाल ही में हस्ताक्षरित गांधीनगर घोषणा में जिराफ, गंगा नदी डॉल्फिन, कॉमन गिटारफिश और अल्बाट्रॉस के लिए ठोस कार्रवाई भी शामिल होगी।' पार्टियों का ...