NHPC Blog

पर्यावरण शब्दकोष (1)

Photograph Source: https://www.achisoch.com/hindi-slogans-on-environment.html   क्र. सं. शब्द अर्थ 1 अतिसंवेदनशीलता (Hypersensitivity)     जलवायु परिवर्तनशीलता एवं उसकी चरम स्थितियों के साथ साथ जलवायु परिवर्तन के प्रतिकूल प्रभावों का सामना करने वाली किसी प्रणाली की अतिसंवेदनशीलता अथवा क्षमता की वह ऊपरी सीमा, जिसके बाद वह इनका सामना करने में असमर्थ हो जाती है। 2 अधिपादप (Epiphytes)       जिन दो अलग अलग प्रकार के पौधों का संबंध भोजन आधारित न होकर केवल आवास आधारित होता है, उन पौधों को अधिपादप कहते हैं । ये वे पौधे होते हैं, जो आश्रय के लिये वृक्षों पर निर्भर होते हैं लेकिन परजीवी नहीं होते। ये वृक्षों के तने, शाखाएं, दरारों, कोटरों, छाल आदि में उपस्थित मिट्टी में उपज जाते हैं व उसी में अपनी जड़ें चिपका कर रखते हैं। कई किस्मों में वायवीय जड़ें भी पायी जाती हैं। ये पौधे उसी वृक्ष से नमी एवं पोषण खींचते हैं। इसके अलावा वर्षा, वायु या आसपास एकत्रित जैव मलबे से भी पोषण लेते हैं। ये अधिपादप पोषण चक्र का भाग होते हैं और उस पारिस्थितिकी की विविधता एवं बायोमास, दोनों में ही योगदान देते हैं। ये कई प्रजातियों के लिये खाद्य का महत्त्वपूर्ण स्रोत भी होते हैं।     3 अनिच्छित ध्वनियाँ (Unwanted Sounds)   “अनिच्छित ...

Category:  Environment


 |    April 29, 2019

Presentation on Land Acquisition, Rehabilitation and Resettlement, Environmental Management and Sustainable Development of Hydropower Projects

Felicitation by Shri Sanjeev Chopra, IAS, Director (LBSNAA) Centre for Rural Studies, Lal Bahadur Shastri National Academy of Administration (LBSNAA) organised a two days’ Workshop on “The Right to Fair Compensation and Transparency in Land Acquisition, Rehabilitation and Resettlement Act (RFCTLARR Act), 2013 and other Land Acquisition Acts: Issues in Implementation, Divergence and Convergence” from 4th – 5th April 2019. In the workshop a presentation on “ RFCTLARR Act, 2013: Issues in Implementation, Divergence & Convergence” was given by Shri Gaurav Kumar, DGM (Environment).The workshop was an ideal platform for the representatives from different Ministries, Public Sector Undertakings, Corporates, Revenue Departments of States, Practitioners, Academicians and other stakeholders, to discuss the issues, challenges and solutions in implementation of the RFCTLARR Act, 2013 and convergence of the Act with other Special Acts. On the issue of divergence, R&R provisions of NHPC R&R Policy and best practices at various power stations on R&R etc. were also presented. “Ek Kaam Desh KE Naam (EKDKN), organized a one day conference on “Environment and Sustainable Development” on 25.03.2019 at India Habitat Centre, New Delhi. The conference deliberated important issues, innovations and integrated approaches towards Environmental Sustainability in different Industries. During the conference a presentation on ...

Category:  Environment


 |    April 29, 2019

TRAINING ON “ CONSERVATION OF INDIGENOUS FISH SPECIES AND SUSTAINABLE AQUACULTURE IN WARM WATER AND COLD WATER REGION OF LOWER DIBANG VALLEY AND DIBANG VALLEY DISTRICT” UNDER CSR and SD OF NHPC DIBANG MULTIPURPOSE PROJECT

A two days training programme was organised on “ Aquaculture for skill development of fish farmers of Lower Dibang valley” on  27th - 28th November  2018 and on “ Trout Farming Techniques in Cold Water Region for Skill Development of Fish Farmers of   Dibang Valley District” on 17th  to 18th December 2018, in collaboration with State Fisheries Department, Arunachal Pradesh. The programme was attended by more than 70 fish farmers in Lower Dibang Valley and more than 40 fish farmers of Dibang Valley district. The programme got an overwhelming response from the fish farming community.  The aim of the programme was not only to divert the people from using the destructive fishing methods and to make them aware about the conservation of biodiversity but also to give them the alternate source of income by developing their skill to take up the sustainable aquaculture as a means of their livelihood generation.   Training was attended by the officials of the State Fisheries Department and NHPC. On the occasion, Dr. Avinash Kumar, DGM (Environment) highlighted the importance of fisheries in livelihood generation and nutritional security of the tribal people, whereas Shri Nabam Tania, DFDO highlighted the importance of good management practices in ...

Category:  Environment


 |    April 29, 2019

गंगेटिक डॉल्फिन (राष्ट्रीय जलीय पशु)    

(चित्र आभार : इन्टरनेट/गूगल) लेख/आलेख :- 1)डॉ. अनिल कुमार त्रिपाठी,  महाप्रबंधक(पर्याo)       2) गौरव कुमार, उप-महाप्रबंधक (पर्याo) 3) विशाल शर्मा, वरिष्ठ प्रबंधक (पर्याo)                       4) मनीष कुमार, सहायक प्रबंधक (मत्स्य)                                                                (पर्यावरण एवं विविधता प्रबंधन विभाग) "राजभाषा ज्योति" में प्रकाशित - अंक : 29, अप्रैल-सितम्बर'2016 परिचय: गंगेटिक डॉल्फिन, मीठे पानी की एक जलीय स्तनधारी जीव हैं। ये कोर्डेटा संघ और मेमेलिया कक्ष के अंतर्गत सिटेसियन ऑर्डर से संबंध रखते हैं। इनका द्विपद नाम प्लाटानिस्टा गंगेटिका है। ये प्रायः गंगा, ब्रह्मपुत्र और उनकी सहायक नदियों में पायी जाती हैं। यह आमतौर पर गंगा नदी में “सुसु" और ब्रह्मपुत्र नदी में "हूहू" नाम से जानी जाती है।   वितरण: भारत में गंगेटिक डाल्फिन का वितरण असम, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में हैं। गंगेटिक डाल्फिन के लिए अपर गंगा नदी, चंबल नदी (मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश), घाघरा और गंडक नदियों (बिहार और उत्तर प्रदेश), गंगा नदी, (वाराणसी से पटना, उत्तर प्रदेश और बिहार), ...

Category:  Environment


 |    April 29, 2019

पर्यावरण वार्ता (अंक 2)

यह हर्ष की बात है कि पर्यावरण विभाग के ब्लॉग का विधिवत प्रारंभ, निगम के अध्यक्ष एवं प्रबन्ध निदेशक श्री बलराज जोशी के द्वारा दिनांक 28/02/2019 को वार्षिक पर्यावरण बैठक के दौरान किया गया। इस अवसर पर उन्होंने यह अपेक्षा की है कि ब्लॉग के माध्यम से निगम द्वारा पर्यावरण के क्षेत्र में किए जा रहे कार्यों की जानकारियों को व्यापक स्तर पर पहुँचाया जा सकेगा। ब्लॉग जैसा शक्तिशाली सोशल माध्यम एनएचपीसी एवं इसके अन्य हितधारकों से सीधा संवाद स्थापित करने में सक्षम है।   पर्यावरण संरक्षण के लिए एनएचपीसी की प्रतिबद्धता इस बात से सुनिश्चित होती है कि वर्ष में एक बार निगम मुख्यालय/ क्षेत्रीय कार्यालय/ परियोजनाओं/ पावरस्टेशनों मे पदस्थ सभी पर्यावरण अधिकारी एकत्रित हो कर अपने कार्यानुभव ही साझा नहीं करते अपितु उन्हें विषय विशेषज्ञों के अनुभवों का लाभ भी प्राप्त होता है। यह हर्ष का विषय था कि इस वर्ष भी दिनांक 28 फरवरी से 1 मार्च, 2019 के मध्य पर्यावरण अधिकारियों की वार्षिक बैठक सम्पन्न हुई जिसमें एनएचपीसी के अतिरिक्त एनएचडीसी तथा सीवीपीपी से आए पर्यावरण अधिकारियों ने भी प्रतिभागिता की।   पर्यावरण का संरक्षण छोटी-छोटी गतिविधियों से भी सुनिश्चित किया जा सकता है। उदाहरण के लिए पर्यावरण अधिकारियों की बैठक में आगंतुक अतिथियों और वक्ताओं ...

Category:  Environment


 |    March 22, 2019

जनभागीदारी से पर्यावरण संरक्षण के लिए प्रतिबद्ध पारबती चरण II परियोजना, हिमाचल प्रदेश

एनएचपीसी की सभी परियोजनायें पर्यावरण संरक्षण के लिये प्रतिबद्ध हैं। हिमाचल प्रदेश में अवस्थित पारबती जलविद्युत परियोजना, चरण – II का उदाहरण लेते हुए इसे समझने का यत्न किया जाये तो न केवल पौधारोपण अथवा पर्यावरण प्रभाव मूल्यांकन अध्ययन को आधार बना कर प्रतिपूरक वनारोपण, जलागम उपचार आदि कार्य किये जाते हैं, बल्कि जनभागीदारी के माध्यम से भी संवर्धन को सुनिश्चित किया जाता है। इन जनभागीदारी कार्यक्रमों में यह भी प्रयास किया जाता है कि एनएचपीसी के परियोजनाओं एवं उनमें किए जा रहे पर्यावरण प्रबंधन योजनाओं के बारे में विस्तृत जानकारी भी प्रतिभागियों तक पहुंचाई जाएI इस तरह के कार्यक्रम परियोजना एवं उसके निकटवर्ती क्षेत्र के बीच निरंतर संवाद स्थापित करने में भी सहायक होते हैंI  इस कड़ी में उल्लेखनीय है कि दिनांक 6 अक्टूबर, 2018 को पारबती जलविद्युत परियोजना, चरण – II द्वारा रैला ग्राम पंचायत में जन-सामान्य के लिये पशुपालन पर केंद्रित एक प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया था।  पशुपालन किसी भी ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ होता है। पशुपालन के लिये प्रोत्साहन और वैज्ञानिक सोच ग्रामीणों में प्रसारित करना सतत विकास की अवधारणा का पोषण है। रैला गाँव में आयोजित एक दिवसीय पशुपालन प्रशिक्षण कार्यक्रम को एनएचपीसी द्वारा राज्य पशुपालन विभाग के सहयोग से आयोजित किया गया ...

Category:  Environment


 |    March 22, 2019

FLOWER SHOW ORGANISED IN TEESTA-V POWER STATION

For the first time, two days “Flower Show” was organised in Teesta-V Power Station on 8th- 9th Feb’2019 wherein various flowering/ornamental plants & orchids have been displayed with an objective to spread awareness about the native flowering plants & orchids and to inculcate and promote the habit of growing these plants/flowers. Total 22 participants including local people and nurseries from neighbouring areas showcased attractive collection of plants. The event was inaugurated by Mrs. Nibedita Khatua, President, Teesta-V Ladies Welfare Association in the presence of Shri Sahadev Khatua, General Manager In-charge, Colonel Deepak Suri and other Officials of Teesta-V Power Station. The show was visited and highly appreciated by the employees of Teesta-V, their families, students and teachers of Kendriya Vidyalaya and local villagers from far-flung areas. The closing ceremony was attended by Shri M. L. Srivastava, Principal Secretary-cum-PCCF, Forest, Environment & Wildlife Management Department, Govt. of Sikkim on 9th Feb’2019. Winners were awarded with Trophies in categories viz. Flowering Plants, Ornamental Plants and Orchids. All the participants were felicitated with participation trophies. The show was concluded with thanks by Dr. A. K. Jha, Senior Manager (Environment).  The two days “Flower Show” which was first of its kind by any power ...

Category:  Environment


 |    March 22, 2019

PHOTOGRAPH OF THE WEEK

Photograph is from “Pakshi Vihar” established at Indirasagar Power Station, NHDC LTD (A Joint Venture of NHPC LTD and Govt. Of Madhya Pradesh).  This area in outer part of project colony was isolated and neglected as such, it was selected by Project Environment Division as site for “Pakshi Vihar”.  Various fruit bearing trees for example Gular, Jamun, Achar, Badam, Kadamb etc were planted with a planning to attract various native as well as migratory birds at this site. A small pond was constructed to attract birds as well as “pakshi Pyau” (hanging mud pots) were placed at various places and hanged over branches of trees for their drinking water facility. Provision are made to place various kind of grains such as Rice, Wheat, Bajra, Jwar etc every morning at Pakshi Vihar site. These efforts started attracting variety of birds at this site and many of them started preparing nests at around surrounding areas. To encourage bird nesting at “Pakshi Vihar Site” attractive manmade nests have also been prepared with help of waterproof plywood. These nests were placed over many trees at pakshi vihar. It is encouraging that most to the manmade nests are now occupied by various kind of birds ...

Category:  Environment


 |    March 22, 2019