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पर्यावरण वार्ता (अंक – 10)
प्रवासी जीव जगत के संरक्षण को लेकर 13वां कॉन्फ्रेंस ऑफ पार्टीज़ अर्थात कॉप-13, गुजरात के गांधीनगर में 15 से 22 फरवरी, 2020 के मध्य आयोजित हुआ। कोप-13 आयोजन का उद्घाटन टेलेकोन्फ्रेंसिंग के माध्यम से माननीय प्रधान मंत्री ने दिनांक 17 फरवरी को किया था। भारत, वर्ष 1983 मे कन्वेंशन ऑन माईग्रेटरी स्पीसीज़ के लिए हस्ताक्षर किए हैं। कॉप-13 आयोजन का विषय था - “प्रवासी प्रजातियां पृथ्वी को जोड़ती हैं और हम मिलकर उनका अपने घर में स्वागत करते हैं”। आयोजन का लोगो दक्षिण भारत के पारंपरिक आर्टफ़ॉर्म 'कोलम' से प्रेरित था। इसका शुभंकर, "जीबी - द ग्रेट इंडियन बस्टर्ड" बनाया गया था जो की गंभीर रूप से लुप्तप्राय प्रजाति है। कॉप-13 आयोजन के माध्यम से जीवों के आवास-विखंडन, प्लास्टिक प्रदूषण, पक्षियों की अवैध हत्या, ऊर्जा और सड़क संरचना आदि विषयों पर चर्चा की गई, जिससे कि धरती से लुप्त होते प्रवासी प्रजातियों को सुरक्षित वातावरण मुहैया कराया जा सके। एनएचपीसी ने भी इस आयोजन में प्रतिभागिता की तथा इस अवसर पर लगाई गई प्रदर्शनी मे हिस्सा लिया। एनएचपीसी द्वारा लगाई गई प्रदर्शनी के माध्यम से देसी-विदेशी आगंतुक निगम द्वारा किए जा रहे पर्यावरण संरक्षण-संवर्धन के उपायों से परिचित हुए। भारत की तीन प्रजातियां ग्रेट इंडियन बस्टर्ड, एशियन एलिफेंट और बंगाल ...
काप–13 में एनएचपीसी की प्रतिभागिता और कुछ विमर्श; आलेख 1; वह सारस जिसने दुनिया को पहली कविता दी
वैश्विक समिट काप–13 में एनएचपीसी की प्रतिभागिता और कुछ विमर्श प्रवासी जीवजगत पर केंद्रित वैश्विक समिट काप – 13 में एनएचपीसी ने प्रतिभागिता की तथा पर्यावरण संरक्षण और संवर्धन को लेकर किए जा रहे निगम के प्रयासों को देशी-विदेशी आगंतुकों के समक्ष प्रस्तुत किया। एनएचपीसी के स्टॉल पर पर्यावरण प्रबंधन से जुड़े कार्यों के सचित्र पोस्टर लगाए गए, जिनमे जैव-विविधता संरक्षण, विलुप्त होने वाले जीवों के संरक्षण से संबंधित कार्यों, जलागम क्षेत्र के लिए किए गए उपचारात्मक कदमों, निक्षेप प्रबंधन, मत्स्य प्रबंधन आदि को प्रदर्शित किया गया था। स्टॉल पर डॉक्यूमेंट्री फिल्म भी चलाई गई जिसके माध्यम से निगम की पर्यावरण प्रिय छवि को उजागर किया गया। इस अवसर पर, प्रवासी जीव जगत पर केंद्रित कार्यो, मॉडलों तथा तस्वीरों को, देश के विभिन्न संस्थाओं, वन विभागों, एनजीओ आदि के द्वारा लगाई गई प्रर्दशनी में प्रस्तुत किया गया था। कुछ महत्वपूर्ण प्रस्तुतियों पर चर्चा इस विमर्ष के लिए आवश्यक है कि मनुष्यों में प्राणीजगत को आज किस स्थिति में पहुंचा दिया है, हम कैसे प्रकृति और पर्यावरण का सरंक्षण कर सकते हैं। वह सारस जिसने दुनिया को पहली कविता दी प्रर्दशनी में एक स्टाल पर सारस पक्षी के लोमहर्षक चित्र प्रस्तुत किए गए थे। सारस अर्थात् कौंच.....वही पक्षी ...
काप–13 में एनएचपीसी की प्रतिभागिता और कुछ विमर्श; आलेख 2; टिड्डियों के झुंड से असंख्य बाज
टिड्डियों के झुंड से असंख्य बाज बाज को जब देखा इक्का दुक्का ही देखा गया है। यह अप्रतिम शिकारी पक्षी लंबी लंबी यात्रायें करता हैं इससे कमोबेश कम लोग ही वाकिफ हैं। नागालैण्ड, इनकी बडी तादात का स्वागत करता है। प्रवासी जीव जगत पर आधारित वैश्विक समिट काप-13 में प्रतिभागिता करते हुए नागालैण्ड वन विभाग के स्टाल पर फैल्कोन अथवा बाज की महत्वपूर्ण जानकारियां उपलब्घ कराई गई थीं। नागालैण्ड में आगंतुक अमूर फाल्कन मूलत: रूस के साइबेरिया क्षेत्र का निवासी है जो नवंबर में वर्फबारी की ठीक पहले अनुकूल मौसम और भोजन की तलाश में भारत होते हुए अफ्रीका निकल जाते हैं। नागालैण्ड इन प्रवासी बाजों का मुख्य ठिकाना हैं। वन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि पहले इन प्रवासी बाजों के नागालैण्ड पहुंचतें हीं बडी संख्या में शिकार आरम्भ हो जाता था। समय के साथ जागरूकता आई है और अब इनका स्वागत-संरक्षण कार्य हो रहा हैं। ये बाज औसतन एक माह में लगभग बाईस हजार किलोमीटर से अधिक की दूरी तय कर लेते हैं। ये प्रवासी जब नागालैण्ड आते हैं, तो इतनी बडी संख्या में कि आकाश ढक लेते हैं -टिड्डियों के झुंड की तरह असंख्य। बाज एक शिकारी पक्षी हैं जो लगभग साढे तीन सौ ...
काप–13 में एनएचपीसी की प्रतिभागिता और कुछ विमर्श; आलेख 3; लक्षद्वीप के पर्यावरण पर मनभावन पेटिंग्स्
लक्षद्वीप के पर्यावरण पर मनभावन पेटिंग्स गांधीनगर में आयोजित वैश्विक समिट काप-13 में अन्य कार्यक्रमों के अतिरिक्त पर्यावरण के लिए काम करने वाली विभिन्न संस्थाओं-एजेंसियों-पीएसयू और एनजीओ के कार्य का प्रदर्शन किया गया था। एक प्रभावित करने वाला स्टाल, वन विभाग लक्षद्वीप का था। लक्षद्वीप, अरब सागर में अवस्थित 36 द्वीपों वाला, भारत का एक केंद्रशासित प्रदेश है। जनसंख्या के मामले में यह भारत का सबसे छोटा केंद्र शासित प्रदेश है। इसकी राजधानी करावती है। यहां का प्रशासन भारत सरकार द्वारा नियुक्त राज्यपाल द्वारा देखा जाता है। यह प्रदेश लगभग 32 वर्ग किमी में फैला हुआ है। यहां की लगभग 97 प्रतिशत आबादी मुस्लिम समुदाय की है (विकीपीडिया हिन्दी)। लक्षद्वीप वन विभाग के स्टाल पर पर्यावरण जागरूकता प्रसारित करने के लिए फोटोग्राफ के स्थान पर अलग ही रचनात्मकता का सहारा लिया गया था। यहां लक्षद्वीप के पर्यावरण पर केंद्रित पेंटिंग प्रदर्शित की गयी थी। ये पेंटिंगस न केवल प्रदर्शनी का आकर्षक बना रही थी बल्कि देखने वालों को लक्षद्वीप का पर्यावरण समझने और उसके संरक्षण के लिये प्रतिबद्ध होने के दृष्टिगत बाध्य भी कर रही थी। पेटिंगस देखकर समझा जा सकता है कि कैसे अरब सागर में केरल के समुद्र तट से चार सौ किमी तक विशाल समुद्र ...
काप–13 में एनएचपीसी की प्रतिभागिता और कुछ विमर्श; आलेख 4; जीवित जीवश्म है माउस डियर
जीवित जीवश्म है माउस डियर तेलांगना वन विभाग ने प्रदर्शनी में एक ऐसे जीव के विषय में जानकारी प्रदर्शित की थी जिसे जीवित जीवाश्म भी कहा जा सकता है। वे जीव जो आज से लाखों वर्ष पहले इस पृथ्वी पर उत्पन्न होकर किसी प्रकार प्राकृतिक परिवर्तनों से अप्रभावित रहकर आज भी पृथ्वी पर पाये जाते हैं, जीवित जीवाश्म कहलाते है। जीवित जीवाश्म का पाया जाना यह प्रमाणित करता है कि जैव-विकास हुआ है। इस श्रृखंला में दुर्लभ प्रजाति के जीव माउस डियर से संबंधित जानकारियों और मॉडल को तेलांगना वन विभाग के स्टॉल में प्रदर्शित किया गया था। ‘माउस डियर’ बहुत ही रोचक जीव है जो कि चूहे से बडा और एक खरगोश के आकार का होता है। असामान्य रूप से छोटी हिरण की इस प्रजाति को सबसे छोटे खुर वाला स्तनधारी माना जाता है। माउस डियर का वजन लगभग चार से साढे चार किलो तक होता है। आगे से चूहे जैसा दिखने वाले इस हिरण के पीठ पर चांदी जैसी चमक होती है, इसलिए इसे सिल्वर-बैकेड चेवरोटाइन भी कहा जाता है। ग्लोबल वाइल्डलाइफ कंजर्वेशन के अनुसार आखिरी बार माउस डियर को वर्ष 1990 में देखा गया था, उसके बाद यह कहीं दिखाई नहीं दिया तो विशेषज्ञों ...
प्रवासी प्रजाति पर सम्मेलन (CMS); आलेख भाग -1: पार्टियों का सम्मेलन (COP)
Image Sourse = https://in.one.un.org/cms-cop-13/ प्रवासी प्रजाति पर सम्मेलन (सीएमएस), संयुक्त राष्ट्र की एक पर्यावरण संधि है, जिसमें विभिन्न देशों द्वारा पारिस्थितिक संयोजकता और कार्यक्षमता, अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और प्रवासी प्रजातियों संरक्षण के उपायों को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर बल दिया जाता है। सीएमएस वन्यजीव की प्रवासी प्रजातियों और उनके आवासों के संरक्षण पर अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के लिए एक प्रमुख समझौता है तथा पार्टियों का सम्मेलन (COP) इस अधिवेशन का निर्णय लेने वाली इकाई है। संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम के तत्वावधान में प्रवासी प्रजाति पर सम्मेलन - वन्य प्राणियों के संरक्षण पर पार्टियों का 13वां सम्मेलन (COP) का आयोजन 15 से 22 फरवरी, 2020 के दौरान गांधीनगर, गुजरात में आयोजित हुआ । 82 पार्टियों और वन्यजीव संरक्षण के क्षेत्र में काम करने वाले प्रतिष्ठित संरक्षणवादी संस्थानों और अंतरराष्ट्रीय गैर सरकारी संगठनों के प्रतिनिधियों ने इस सम्मेलन में भाग लिया । प्रवासी पक्षियों पर सम्मेलन (सीएमएस) यह सम्मेलन (सीएमएस) प्रवासी प्रजातियों और उनके आवासों के संरक्षण हेतु विचार-विमर्श करने के लिए एक वैश्विक मंच प्रदान करती है। विशेष रूप से, यह एकमात्र वैश्विक मंच है जो प्रवासी प्रजातियों, उनके प्रवास मार्गों और आवासों के कल्याण से संबंधित नीतिगत मामलों में सक्रिय रूप से भाग लेता है। सन 1979 में ...
प्रवासी प्रजाति पर सम्मेलन (CMS) आलेख भाग -2; सीमएस में भारत की भूमिका
Image Source = https://www.cms.int/en/cop13 सीमएस में भारत की भूमिका : भारत 1983 से सीएमएस के लिए एक पार्टी है और विभिन्न प्रजातियों के संरक्षण पर कई समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर कर चुका है। भारत ने साइबेरियन क्रेन (1998), मरीन टर्टल (2007), डुगोंग्स (2008) और रैप्टर (2016) के संरक्षण और प्रबंधन पर सीएमएस के साथ समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किया है । विशेष रूप से, भारत एक प्रमुख पक्षी फ्लाईवे नेटवर्क है, क्योंकि यह मध्य एशियाई फ्लाईओवर (CAF) बेल्ट में आता है, जो आर्कटिक और भारतीय महासागरों के बीच एक विशाल क्षेत्र को कवर करता है और प्रवासी पक्षियों की लगभग 300 प्रजातियों का घर है, जिनमें से विश्व स्तर पर संकटग्रस्त 29 को सूचीबद्ध किया गया है। सीएमएस सीओपी के 13वें सम्मेलन में बाघ, शेर, हाथी, हिम तेंदुआ, गैंडा और भारतीय बस्टर्ड जैसे वन्यजीव संरक्षण में भारतीय प्रयासों एवं सफलताओं पर भी प्रकाश डाला गया। सीएमएस द्वारा जारी एक आधिकारिक बयान में घोषणा की गई, 'सूची में शामिल नए जानवर एशियाई हाथी, जगुआर, ग्रेट इंडियन बस्टर्ड और स्मूथ हैमरहेड शार्क हैं। हाल ही में हस्ताक्षरित गांधीनगर घोषणा में जिराफ, गंगा नदी डॉल्फिन, कॉमन गिटारफिश और अल्बाट्रॉस के लिए ठोस कार्रवाई भी शामिल होगी।' पार्टियों का ...
IUCN Red List : India
The International Union for Conservation of Nature (IUCN) Red List of Threatened Species, founded in 1964, is the world’s most comprehensive inventory of the global conservation status of biological species.When discussing the IUCN Red List, the official term “threatened” is a grouping of three categories: Critically Endangered, Endangered, and Vulnerable. IUCN Red List India (As of March 2019) contains critically endangered, endangered and vulnerable species. The list is updated by Zoological Survey of India (ZSI) from time to time as per the IUCN, 1996. The Red List of 2019 was released at the Rio+20 Earth Summit. It contains 132 species of plants and animals in India listed as critically endangered. According to the IUCN's Red List there are also 48 critically endangered plant species in India (as of 5 September 2019). Few species from India are described below : ( 01 ) GREAT INDIAN BUSTARD Scientific Name : Ardeotis nigriceps , Common Name : Great Indian bustard Population : 200 individuals worldwide , Height : 100 cms or 1 metre Length : Wingspan of 210-250 cm, Weight: 15-18 kg Status : Listed in Schedule I of the Indian Wildlife (Protection)Act, 1972, in the CMS Convention and in Appendix I of CITES, as Critically Endangered on the IUCN Red List ...