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पर्व , पटाखे, प्रदूषण, प्रकृति, पर्यावरण और हम
Image Source = https://www.npr.org/2019/06/29/737001802/this-4th-of-july-think-of-your-feathered-friends-as-you-plan-for-fireworks पृष्ठभूमि : सर्दियों की शुरुआत के साथ बीते कुछ वर्षों में लगातार देश के कई उत्तर-मध्य भागों के नगरों/महानगरों से वातावरण की वायु व दृश्यता गुणवत्ता में गिरावट संबंधी ख़बरें चिंता का विषय हो गई हैं | अक्टूबर माह के आखरी हफ़्तों से लेकर लगभग अगले मौसम की करवट तक यानि बसंत ऋतु के आगमन (फरवरी-मार्च) तक बुरे पर्यावरण हालातों में जीना मजबूरी होती जा रही है| वर्ष का ये समय लगातार एक के बाद एक प्रमुख भारतीय पर्वों जो वृहत “दशहरा” व “दीपावली” के त्यौहार से शुरू होकर “क्रिसमस” व “नववर्ष” के उत्सव-काल तक जारी रहता है, का साक्षी है| इस दौरान देश के कई हिस्सों में प्रकृति पर्व जैसे छट, लोहड़ी, बिहू, मकर संक्रांति, पोंगल इत्यादि भी मनाया जाता है| पर्व-त्यौहार आदि काल से मानव सभ्यता का अभिन्न अंग रहे हैं| प्रत्येक पर्व-त्योहार सामाजिक मान्यताओं, परंपराओं व पूर्व संस्कारों पर आधारित होते हैं। इनको मनाने की विधियों में भी भिन्नता होती है। बदलते वक़्त के साथ त्यौहारों को मनाने का अंदाज बदला और विगत कई दशकों से आतिशबाजी व पटाखे लगभग प्रत्येक पर्व-त्योहार/समारोह का हिस्सा बने रहे| आतिशबाजी व पटाखे पर्व-त्यौहार का पर्याय माने जाने लगे थे पर हाल के बदहाल पर्यावरणीय ...
पर्यावरण शब्दकोश (6)
Image Source = https://www.carbonaction.co.uk/carbon-footprint-training क्र. शब्द अर्थ 1 कवक (Fungi) कवक पृथ्वी पर सबसे व्यापक रूप से वितरित जीवों में से है। ये अत्यंत पर्यावरणीय व चिकित्सीय महत्व के हैं। कवक एकल कोशिकीय या बहुत जटिल बहुकोशिकीय जीव होते हैं। कई कवक मिट्टी या पानी में मुक्त रूप से रहते हैं; अन्य पौधों या जानवरों के साथ परजीवी या सहजीवी तौर पर पाए जाते हैं।ये एक पारिस्थितिकी तंत्र में पोषक चक्र के संचालन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।इसमें यीस्ट, रसट्स, स्मट्स, माइल्ड्यूज़, मोल्ड्स और मशरूम शामिल हैं। 2 कवकनाशी ( Fungicide) कवक दुनिया भर में फसल के नुकसान का एक बड़ा कारण है। कवकनाशी एक विशिष्ट प्रकार का कीटनाशक है जिसका उपयोग कवक की वृद्धि को मारने या बाधित करने के लिए किया जाता है। आमतौर पर परजीवी कवक को नियंत्रित करने के लिए कवकनाशी का उपयोग किया जाता है जो या तो फसल या सजावटी पौधों को आर्थिक नुकसान पहुंचाते हैं या घरेलू पशुओं या मनुष्यों के स्वास्थ्य को खतरे में डालते हैं। 3 कार्बन चक्र (carbon cycle) कार्बन चक्र वह चक्र है जिसके द्वारा कार्बन पृथ्वी की विभिन्न प्रणालियों से गुजरता है। पृथ्वी का अधिकांश कार्बन (लगभग 65,500 बिलियन मीट्रिक टन) ...
पार्बती-III पावर स्टेशन द्वारा सैंज में वृहद स्वच्छता रैली एवं प्लास्टिक रोकथाम पर जागरूकता कार्यक्रम
पार्बती-III पावर स्टेशन, बिहाली में 17 सितंबर से 02 अक्टूबर’ 2019 तक चले “स्वच्छता ही सेवा” कार्यक्रम के अंतर्गत दिनांक 01.10.2019 को सैंज के स्थानीय बाज़ार में वृहद स्वच्छता रैली एवं राजकीय महाविद्यालय, सैंज में स्वच्छता जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। पार्बती-III पावर स्टेशन के सैंज स्थित बांध परिसर से रैली शुरू होकर राजकीय महाविद्यालय, सैंज में समाप्त हुई। रैली का मुख्य उद्देश्य प्लास्टिक निषेध था तथा रैली के दौरान रास्ते से प्लास्टिक युक्त पदार्थ जैसे प्लास्टिक की बोतलें, पैकेट आदि को उठाकर निपटान हेतु ले जाया गया। स्वच्छता रैली के बाद राजकीय विद्यालय, सैंज में स्वच्छता जागरुकता एवं प्लास्टिक निषेध पर कार्यक्रम आयोजित किया गया। श्री विशाल शर्मा, वरिष्ठ प्रबन्धक (पर्यावरण) ने प्लास्टिक की रोकथाम एवं एकल उपयोग प्लास्टिक (Single Use Plastic) की रोकथाम पर महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान की। इस दौरान राजकीय महाविद्यालय, सैंज के छात्र-छात्राओं द्वारा प्लास्टिक निषेध पर नुक्कड़ नाटक प्रस्तुत किया गया और “स्वच्छता ही सेवा” कार्यक्रम के उपलक्ष्य में आयोजित चित्रकला प्रतियोगिता के विजेता छात्रों को पुरस्कृत किया गया।
पर्यावरण वार्ता (अंक 8 )
भारत सरकार ने 2-अक्टूबर अर्थात महात्मा गांधी की एक सौ पचासवीं जयंती के अवसर से एकल प्रयोग प्लास्टिक के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाने का निर्णय लिया है। इस आलोक में प्लास्टिक का प्रयोग, उसकी उपादेयता, पर्यावरण पर प्रभाव तथा विकल्पों पर गंभीर विमर्श की आवश्यकता है। विश्व मे प्लास्टिक का वार्षिक उत्पादन तीन हजार-लाख टन से अधिक है, अर्थात वैश्विक अर्थव्यवस्था में प्लास्टिक का योगदान खरबों डॉलर का है। ऐसे में यह समझना कठिन नहीं है कि पर्यावरण का नुकसान अर्थशास्त्र के हिसाब-किताब में समृद्धि की तरह दर्ज किया जाता है। प्लाटिक कचरे से निजात पाने के अब तक जो भी प्रयास किए गए हैं वे कतिपय पंचायतों, नगरों, शहरों अथवा कुछ जागरूक देशों के निजी हैं, जबकि इस समस्या का निदान पूरे विश्व को एक साथ ही निकालना होगा। हमें सतत विकास की परिभाषा को सम्मुख रख कर यह विचार करना होगा कि आने वाली पीढ़ी के लिए हम प्लास्टिक से अटी धरती छोड़ जाना चाहते हैं अथवा हमारे पास समाधानों के लिए स्पष्ट दृष्टिकोण भी है? विचार करें कि क्यों पैकेजिंग, खानपान, शल्य चिकित्सा, स्वच्छता से जुड़े कार्यों/वस्तुओं के लिये प्लास्टिक पदार्थों का उपयोग अब भी युक्तिसंगत माना जाता है? हम क्यों यह विचार नहीं करते कि अल्पकालिक ...
Let health care reach all the new born and their mothers, this Gandhi Jayanti
image source = https://www.thehindu.com/children/messenger-of-peace/article22520662.ece Odisha, along with some other states in our country occupies the distinction of being the worst performer states in terms of infant mortality, neo-natal mortality and maternal mortality. This report featured in one of the popular magazines must have compelled some of the thinkers of our times to scratch their heads as to what went wrong during these years after independence .Indian intelligentsia, has proved its mettle in many areas both at national and international level but news reports of this kind makes us think and rethink several times about our progress in real terms. In this context, it reminds me the words which once said by father of our nation Mahatma Gandhi that all our acts and actions shall be deemed fruitful only when they have benefited the lowest strata of our society. Now, as we are going to celebrate ‘Gandhi Jayanti’ the 150 th birthday of one of the rarest of rare personalities the world has ever seen. Mohandas Karamchand Gandhi, born on 2nd October 18 69 in Porbandar , Gujarat ; lawyer, anti-apartheid crusader, anti-colonial activist founder of non-violent movement all amalgamated into one , though popularly known for his profound contribution ...
मावल्यान्नॉग : एशिया में स्वच्छतम एक भारतीय गाँव
एशिया का सबसे साफ-सुथरा गाँव भारत में है इस बात का गर्व किसे नहीं होगा? मेघों की धरती मेघालय के पूर्वी खासी हिल्स जिले में अवस्थित एक छोटा सा गाँव मावल्यान्नॉग अब एक पर्यटक स्थल में परिवर्तित हो गया है। जिस बात ने मुझे सर्वाधिक प्रभावित किया वह था किसी गाँव की स्वच्छता को देखने के लिये विकसित हुआ पर्यटन। पन्चानबे परिवारों का गाँव जिसकी कुल आबादी लगभग पाँच सौ व्यक्ति है, उन्होंने ऐसा क्या विशेष किया है जिसके कारण उन्हें एशिया के नक्शे पर महत्वपूर्ण स्थान हासिल हुआ। यह बात भी सु:खद है कि इस गाँव की एक बड़ी विशेषता मातृसत्तात्मक परम्परा तो है ही यहाँ का प्रत्येक व्यक्ति साक्षर भी है। गाँव में प्रवेश करने से पूर्व ही एक दृष्टि डालने पर बहुत सी बाते स्पष्ट हो जाती हैं। पहली यह कि परम्परा और आधुनिकता का बेहतर समायोजन किया गया है इसलिये सडक में निश्चित दूरी पर सौर ऊर्जा से चलने वाली लाईटें लगाई गयी हैं साथ ही प्रत्येक कुछ कदम पर बाँस के तिकोने आकार के टोकरे भी आपको लटके हुए मिलेंगे जिसे आप कूडादान कहते हुए एकबार हिचकेंगे अवश्य। इन कचरा-कूडा सहेजने के लिये लगायी गयी बाँस की टोकरियों ने गाँव की कलात्मक अभिरुचि को अभिव्यक्त ...
पार्बती-III पावर स्टेशन, बिहाली में “पालीथीन प्रयोग के खिलाफ” स्वच्छता मोबाईल वैन का परिचालन एवं “पालीथीन: पर्यावरण का शत्रु” विषय पर चित्रकला प्रतियोगिता के साथ “पालिथीन मुक्त भारत” का संकल्प
“स्वच्छता ही सेवा” कार्यक्रम के अंतर्गत “पालीथीन प्रयोग से बचें” विषय पर सामान्य जन को जोड़ने के उद्देश्य से दिनांक 23-09-2019 को एनएचपीसी के पार्बती-III पावर स्टेशन, बिहाली से “स्वच्छता मोबाईल वैन” को रवाना किया गया। इसके माध्यम से पावर स्टेशन के आस-पास स्थित पंचायतों में पालिथीन के प्रयोग से होने वाले हानि को प्रभावशाली तरीकों से समझाया गया और पालिथीन के प्रयोग को रोकने की मुहिम चलाई गई । दिनांक 25-09-2019 को पार्बती-III में “स्वच्छता ही सेवा” कार्यक्रम के अंतर्गत पार्बती- III पावर स्टेशन द्वारा राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय, सैन्ज के छात्रों के मध्य “पालीथीन : पर्यावरण का शत्रु” विषय पर “चित्रकला प्रतियोगिता ” का आयोजन किया गया जिसमें लगभग 50 बच्चों ने भाग लिया । दिनांक 26-09-2019 को राजकीय हाई-स्कूल, सारी में छात्रों व अध्यापक के साथ मिलकर “पालिथीन मुक्त भारत” के संकल्प को “स्वच्छता शपथ” के रूप में दिलवाया गया । साथ ही पालिथीन के प्रयोग से होने वाले नुकसान के बारे में छात्रों को अवगत कराते हुये पालिथीन के प्रयोग से बचने की अपील की गई ताकि आने वाले कल को संवार कर महात्मा गांधी के स्वच्छ व स्वस्थ राष्ट्र के निर्माण का स्वप्न साकार किया जा सके। कार्यक्रम का संयोजन श्री विशाल शर्मा, वरिष्ठ प्रबंधक पर्यावरण ...
स्वच्छता, स्वास्थ्य एवं पर्यावरण : टनकपुर पावर स्टेशन में “स्वच्छ भारत पखवाड़ा” का आयोजन
एनएचपीसी के टनकपुर स्थित पावर स्टेशन में दिनांक 16-31 अगस्त’2019 तक “स्वच्छता पखवाड़ा” के दौरान विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। इन कार्यक्रमों के माध्यम से कर्मचारियों/अधिकारियों व उनके परिवारों, विद्यार्थियों और स्थानीय लोगों में स्वच्छता एवं पर्यावरण के प्रति जागरूकता पैदा किया गया ताकि आस-पास के वातावरण को स्वच्छ, सुंदर एवं स्वस्थ बनाने में सभी योगदान दे सकें। अधिकारियों एवं कर्मचारियों द्वारा पावर स्टेशन व आवासीय परिसर स्थित विभिन्न स्थलों जैसे खेल मैदान, अतिथि भवन, प्रशासनिक भवन आदि स्थानों में गहन स्वच्छता अभियान चलाया गया। एनएचपीसी केन्द्रीय विद्यालय -2, बनबसा में विद्यार्थियों को स्वच्छता के प्रति जागरूकता पैदा करने के उदेश्य से “स्वच्छता, स्वास्थ्य एवं पर्यावरण विषय” पर निबंध व स्लोगन प्रतियोगिता का आयोजन कर विजेताओं को पुरस्कृत किया गया।केन्द्रीय विद्यालय में विद्यार्थियों के बीच स्वच्छता के प्रति जागरूकता एवं पर्यावरण के प्रति जुड़ाव पैदा करने के उदेश्य से “स्वच्छता, स्वास्थ्य एवं पर्यावरण” विषय पर विद्यार्थियों के साथ संवाद भी स्थापित किया गया जिसमें विद्यार्थियों ने अपनी जिज्ञासाओं और बेहतरीन विचारों को उत्साहपूर्वक रखा। एनएचपीसी केन्द्रीय विद्यालय एवं एनएचपीसी नर्सरी विद्यालय परिसर में सफाई अभियान चलाया गया एवं प्रदूषण मुक्त स्वस्थ पर्यावरण के लिए वृक्षारोपण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। "राजनीतिक स्वतंत्रता से ज्यादा जरूरी स्वच्छता है" - महात्मा गांधी ...