एनएचपीसी की सभी परियोजनायें पर्यावरण संरक्षण के लिये प्रतिबद्ध हैं। हिमाचल प्रदेश में अवस्थित पारबती जलविद्युत परियोजना, चरण – II का उदाहरण लेते हुए इसे समझने का यत्न किया जाये तो न केवल पौधारोपण अथवा पर्यावरण प्रभाव मूल्यांकन अध्ययन को आधार बना कर प्रतिपूरक वनारोपण, जलागम उपचार आदि कार्य किये जाते हैं, बल्कि जनभागीदारी के माध्यम से भी संवर्धन को सुनिश्चित किया जाता है। इन जनभागीदारी कार्यक्रमों में यह भी प्रयास किया जाता है कि एनएचपीसी के परियोजनाओं एवं उनमें किए जा रहे पर्यावरण प्रबंधन योजनाओं के बारे में विस्तृत जानकारी भी प्रतिभागियों तक पहुंचाई जाएI इस तरह के कार्यक्रम परियोजना एवं उसके निकटवर्ती क्षेत्र के बीच निरंतर संवाद स्थापित करने में भी सहायक होते हैंI इस कड़ी में उल्लेखनीय है कि दिनांक 6 अक्टूबर, 2018 को पारबती जलविद्युत परियोजना, चरण – II द्वारा रैला ग्राम पंचायत में जन-सामान्य के लिये पशुपालन पर केंद्रित एक प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। पशुपालन किसी भी ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ होता है। पशुपालन के लिये प्रोत्साहन और वैज्ञानिक सोच ग्रामीणों में प्रसारित करना सतत विकास की अवधारणा का पोषण है। रैला गाँव में आयोजित एक दिवसीय पशुपालन प्रशिक्षण कार्यक्रम को एनएचपीसी द्वारा राज्य पशुपालन विभाग के सहयोग से आयोजित किया गया था। इस कार्यक्रम में ग्रामीणो को मवेशियों के पालन, पशु में होने वाले विभिन्न रोगों व इसके रोकथाम के उपायों की महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान की गयी। इसके अतिरिक्त ग्रामीणों को मवेशियों के जीवनचक्र के अनुसार उन्हें संतुलित आहार देने के विषय में भी बताया गया। प्रशिक्षण कार्यक्रम में पशु पालन विभाग, कुल्लू से डॉ अंचल शर्मा, पशु चिकित्सक एवं सेंज से डॉ अष्मिता आनंद, पशु चिकित्सक ने प्रतिभागिता की। पार्बती परियोजना से श्री शरद भटनागर, प्रमुख (भूविज्ञान) तथा श्री प्रताप कुमार मल्लिक, वरिष्ठ प्रबन्धक (पर्यावरण) उपस्थित थे। साथ ही श्रीमती खिम दासी (पंचायत प्रधान, रैला), श्री बालमुकुंद,उप प्रधान, रैला व रैला ग्राम पंचायत से 18 पुरुष प्रतिभागी एवं 14 महिला प्रतिभागियों ने कार्यक्रम में सहभागिता की और पशुपालन क्षेत्र में नयी तकनीकों की जानकारी प्राप्त कर लाभ उठाया। प्रशिक्षण उपरांत परियोजना द्वारा प्रतिभागियों को अपने पशुओं को निरोग रखने हेतु नि:शुल्क दवाइयाँ भी वितरित की गयीं।
इसी कड़ी में पारबती जलविद्युत परियोजना, चरण – II द्वारा निकटस्थ ग्रामवासियों को अनार की खेती के नवीनतम तरीकों से परिचित कराने के उद्देश्य से दिनांक 18 जनवरी, 2019 को एक दिवसीय कृषि प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन पंचायत भवन, गड्सा में किया गया। यह कार्यक्रम क्षेत्रीय बागवानी अनुसंधान केंद्र, बंजौर के सहयोग से सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ. एच. एस. भाटिया, सह-निदेशक, क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र, बजौर थे। इस अवसर पर डॉ. बी. एस. ठाकुर (वैज्ञानिक), डॉ.विजय कुमार भारद्वाज (वैज्ञानिक) भी उपस्थित थे तथा उन्होंने अनार की खेती के विविध तरीकों और उन्हें लगाने में सावधानियों से ग्रामीणों को परिचित कराया। डॉ. एच. एस. भाटिया ने अपने वक्तव्य के द्वारा ग्रामीणों को अनार की खेती करने की वैज्ञानिक पद्धति व तौर-तरीकों से सरल शब्दों में अवगत कराया जिससे कि किसान अनार की भरपूर फसल पैदाकर, अपनी आर्थिक स्थिति सुधार सकें। इस अवसर पर उन्होंने अनार के पौधों की बुआई, सिंचाई व देखभाल की भी विस्तृत जानकारी दी। अगले वक्ताओं के रूप में डॉ. बी. एस. ठाकुर व डॉ.विजय कुमार भारद्वाज ने भी अनार में लगने वाली बीमारियों और इनसे बचने के उपाय के विषय में किसानों को आवश्यक जानकारी प्रदान की। उन्होंने ग्रामीणों की फसल संबंधी अन्य समस्याओं का भी समाधान इस प्रशिक्षण के माध्यम से किया। मुख्य महाप्रबंधक (भू-विज्ञान/पर्यावरण), श्री एस. एल. कपिल ने इस अवसर पर बोलते हुए एनएचपीसी की उपलब्धियां, परियोजना की वर्तमान स्थिति तथा परियोजना प्रभावित परिवारों के विकास के लिए पर्यावरण प्रबंधन योजना के अंतर्गत किये जा रहे कल्याणकारी योजनाओं के विषय में ग्रामवासियों को अवगत कराया। कार्यक्रम के अंत में गड्सा ग्राम पंचायत में 2000 अनार के पौधों का वितरण किया गया। प्रत्येक प्रभावित परिवार को 25-25 अनार के पौधे दिये गए। कार्यक्रम में बडी तादाद में ग्रामीण उपस्थित थे साथ ही श्रीमती चित्रलेखा देवी ग्राम-प्रधान, गड्सा ने भी इसमें सहभागिता की। पारबती जलविद्युत परियोजना, चरण – II की ओर से श्री एस. एल. कपिल मुख्य महाप्रबंधक (भू- विज्ञान/पर्यावरण); श्री महेश टंडन, उप-महाप्रबंधक (सिविल) एवं श्री प्रताप मल्लिक वरिष्ठ प्रबन्धक (पर्यावरण), उपस्थित थे।
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