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क्र.
सं. |
शब्द | अर्थ |
1 | आर्द्रभूमि
(Wetland) |
आर्द्रभूमि वह स्थान है जहाँ पानी भूमि से मिलता है। अर्थात् भूसतह का ऐसा भाग जो स्थाई रूप से या वर्ष के कुछ महीने जलमग्न रहता है। इनमें मैंग्रोव, दलदल, नदी और झील, नदीमुख-भूमि (Delta) , बाढ़ के मैदान और बाढ़ के जंगल, धान के खेत और यहाँ तक कि प्रवाल भित्तियाँ भी शामिल हैं। आर्द्रभूमि हर देश में और हर जलवायु क्षेत्र में, ध्रुवीय क्षेत्रों से उष्णकटिबंधीय तक और ऊंचाई से शुष्क क्षेत्रों तक मौजूद है। मानवकृत कृत्रिम जल स्थल जैसे मत्स्य पालन, जलाशय आदि भी वेटलैंड के अन्तर्गत हैं।प्रत्येक वेटलैंड का अपना पर्यातंत्र होता है अर्थात पारिस्थितिक तंत्र होता है। जैव विविधता होती है, वानस्पतिक विविधता होती है। ये वेटलैंड जलजीवों, पक्षियों, आदि प्राणियों के आवास होते हैं। मानवकृत कृत्रिम जल स्थल जैसे मत्स्य पालन, जलाशय आदि भी आर्द्रभूमि के अन्तर्गत हैं।प्रत्येक आर्द्रभूमि का अपना पारिस्थितिक तंत्र होता है, जैव विविधता एवं वानस्पतिक विविधता होती है। आर्द्रभूमि के क्षेत्र जलजीवों, पक्षियों आदि प्राणियों के आवास होते हैं।
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2 | आवास पारिस्थितिकी
(Habitat ecology) |
पारिस्थितिकी तंत्र में आवास एक प्राकृतिक वातावरण का प्रकार है जिसमें जीव की एक विशेष प्रजाति रहती है। यह भौतिक और जैविक दोनों विशेषताओं से परिपूर्ण होता है। एक प्रजाति का निवास स्थान उन स्थानों पर होता है जहां प्रजनन के लिए भोजन, आश्रय, संरक्षण और साथी मिल सकते हैं।
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3 | आहार श्रृंखला
(Food chain) |
किसी भी प्राकृतिक समुदाय में पाया जाने वाला जीवधारियों का क्रम जिसके माध्यम से ऊर्जा का स्थानान्तरण होता है, आहार श्रृंखला कहलाती है। आहार श्रृंखला में प्रथम पोषण स्तर (आधार स्तर) स्वपोषित जीवों का होता है जिसके अंतर्गत हरे पौधे आते हैं जो प्रकाश संश्लेषण विधि से अपना भोजन स्वयं तैयार करते हैं। द्वितीय पोषण स्तर के अंतर्गत वे शाकाहारी प्राणी सम्मिलित किये जाते हैं जो अपना भोजन प्रथम पोषण स्तर के पौधों से प्राप्त करते हैं। तृतीय पोषण स्तर के अंतर्गत मांसाहारी पशुओं को सम्मिलित किया जाता है जो द्वितीय पोषण स्तर के प्राणियों से मांस के रूप में भोजन प्राप्त करते हैं। चतुर्थ पोषण स्तर के अंतर्गत मनुष्य आता है जो प्रथम तीन पोषण स्तरों से भोजन तथा ऊर्जा प्राप्त करता है। |
4 | आहार जाल
(Food web) |
एकल पारिस्थितिकी तंत्र में कई सारी आहार श्रृंखलाएं मिलकर आहार जाल का निर्माण करती हैं। इसके अंतर्गत आहार श्रृंखला सीधी न होकर जटिल हो जाती है। इसमें एक प्रकार के जीव कई प्रकार का भोजन या एक प्रकार के जीव कई प्रकार के जीवों द्वारा खाया जाता है। अत: प्रत्येक जीवित चीज कई खाद्य श्रृंखलाओं का हिस्सा होता है।
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5 | इको क्लब
(Eco club) |
इको क्लब एक ऐसा मंच है जिसके माध्यम से विद्यालयों एवं विश्वविद्यालयों के छात्रों को सार्थक पर्यावरण गतिविधियों और पर्यावरण परियोजनाओं द्वारा पर्यावरण के बारे में व्याहवारिक ज्ञान दिया जाता है । यह छात्रों को एक पाठ्यक्रम या पाठ्यक्रम की सीमाओं से परे पर्यावरण अवधारणाओं और कार्यों का पता लगाने के लिए सशक्त करता है। भावी पीढ़ी के बीच पर्यावरण जागरूकता पैदा करने में इको क्लब महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यह छात्रों को पर्यावरणीय समस्याओं से निपटने एवं पर्यावरणीय चिंता के प्रति संवेदनशील होने में सक्षम बनाता है।
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6 | इकोटोन
(Ecotone) |
इकोटोन एक ऐसा क्षेत्र है जो दो पारिस्थितिकी प्रणालियों के बीच एक सीमा या संक्रमण के रूप में कार्य करता है। यहां दो अलग-अलग प्रकार के वातावरण का विलय और मिश्रण होता है। इकोटोन अत्यंत पर्यावरणीय महत्व के हैं। यह क्षेत्र दो पारिस्थितिक तंत्र या बायोम के बीच एक संक्रमण है अत: यह स्वाभाविक है कि इसमें जीव और वनस्पतियों की एक विशाल विविधता शामिल है क्योंकि यह क्षेत्र दोनों सीमावर्ती पारिस्थितिक तंत्र से प्रभावित होता है। इकोटोन क्षेत्रों के उदाहरणों में दलदली भूमि (शुष्क और गीले पारिस्थितिक तंत्र के बीच), मैंग्रोव वन (स्थलीय और समुद्री पारिस्थितिक तंत्र के बीच), घास के मैदान (रेगिस्तान और जंगल के बीच) और जंगल (खारे पानी और मीठे पानी के बीच) शामिल हैं। प्राकृतिक रूप से इकोटोन का गठन किया जा सकता है जैसे – मृदा संरचना में अजैविक कारकों के माध्यम से परिवर्तन द्वारा। मानव हस्तक्षेप के परिणाम स्वरुप इकोटोन का निर्माण, जैसे- वन क्षेत्रों की सफाई या सिंचाई इसके उदाहरण हैं।
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7 | इकोमार्क
(Ecomark) |
उपभोक्ता जागरूकता बढ़ाने हेतु भारत सरकार ने पर्यावरण के अनुकूल उत्पादों की आसान पहचान के लिए 1991 में ‘इकोमार्क’ के रूप में इको-लेबलिंग योजना शुरू की। ‘इकोमार्क’ लेबल से उन उपभोक्ता वस्तुओं को चिन्हित किया जाता है जो निर्दिष्ट पर्यावरणीय मानदंडों और भारतीय मानकों की गुणवत्ता की आवश्यकताओं को पूरा करते हैं।यह बाजार में पर्यावरण के अनुकूल उत्पादों की पहचान करने में मदद करता है।यह चिह्न लगभग 16 श्रेणियों में जारी किया जा चुका है जैसे भोजन, दवाइयां, रसायन, इलेक्ट्रॉनिक सामान, कागज, चिकनाई वाले तेल, पैकिंग सामग्री इत्यादि। ‘इको मार्क योजना’ पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के दायरे में आती है।
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8 | इकोलॉजिकल एडाप्टेशन
(Ecological adaptation) |
प्रत्येक जीव के पास एक अद्वितीय पारिस्थितिकी तंत्र होता है जिसके अंतर्गत वह रहता है। वह पारिस्थितिकी तंत्र उसका प्राकृतिक आवास है। यह वह जगह है जहां जीवित रहने के लिए जीव की बुनियादी जरूरतों को पूरा किया जाता है यथा भोजन, पानी, मौसम से आश्रय और प्रजनन के लिए अनुकूलता। सभी जीवों को जीवित रहने में सक्षम होने के लिए अपने निवास स्थान के अनुकूल होने की आवश्यकता होती है।यह ही पारिस्थितिक अनुकूलन/ इकोलॉजिकल एडाप्टेशन कहलाता है ।
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9 | इटाइ इटाइ
(Itai Itai) |
इटाई-इटाई एक बीमारी का नाम है जो कैडमियम के जहर के कारण जापान के टॉयमा प्रान्त में जिंज़ु नदी बेसिन पर 20 वीं शताब्दी की शुरुआत में सामने आया था। वहां कैडमियम को पहाड़ी खनन कंपनियों द्वारा नदियों में छोड़ा गया था। यह और अन्य भारी धातुओं के साथ नदी के तल पर जमा होती रही । नदी के पानी का उपयोग धान के खेत, मिट्टी के लिए और अन्य जरूरतों के लिए किया गया जिसके बाद गंभीर रीढ़ और जोड़ों के दर्द का सामना स्थानीय लोगों को करना पड़ा तब कैडमियम की विषाक्तता सामने आई। हालांकि उस समय इसकी जानकारी नहीं थी कि कैडमियम के जहर से हड्डियों में नरमी और किडनी फेल भी हो सकती है। आधिकारिक तौर पर कानूनी कार्यवाही के बाद जापान में पर्यावरण प्रदूषण से प्रेरित पहली बीमारी के रूप में 1968 में इटाई-इटाई बीमारी को मान्यता दी गई ।
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10 | इन्फ्रारेड रेडिएशन
(Infrared radiation) |
इन्फ्रारेड रेडिएशन/अवरक्त विकिरणको सामान्यता केवल इन्फ्रारेड के रूप में भी संदर्भित किया जाता है। यह विद्युत चुम्बकीय विकिरण स्पेक्ट्रम का एक क्षेत्र है जहां तरंगदैर्घ्य लगभग 700 नैनोमीटर से 1 मिलीमीटर तक होता है। अवरक्त/ इन्फ्रारेड तरंगें दृश्यमान प्रकाश की तुलना में लंबी होती हैं लेकिन रेडियो तरंगों की तुलना में कम होती हैं।यह मानव आंख के लिए अदृश्य है, हालांकि इन तरंगों को गर्मी के रूप में महसूस किया जा सकता है। |
– पूजा सुन्डी
सहायक प्रबंधक ( पर्या. )
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