[ Picture Source : विशाल शर्मा, समूह वरिष्ठ प्रबंधक (पर्यावरण)]

 

 

काजीरंगा नेशनल पार्क, डिब्रूगढ़ से 235 km एवं गुवाहाटी से लगभग 220 km की दूरी पर है । जोरहाट रेलवे स्टेशन से इसकी दूरी 90 km है। काजीरंगा नेशनल पार्क की यात्रा मैंने परिवार के साथ डिब्रुगढ़ से शुरू की। डिब्रूगढ़, रेल एवं वायु मार्ग द्वारा देश के विभिन्न हिस्सों से जुड़ा हुआ है। डिब्रूगढ़ से काजीरंगा नेशनल पार्क टॅक्सी एवं बस से जाया जा सकता है। काजीरंगा नेशनल पार्क असम के गोलाघाट, नगाँव और शोणितपुर जिलों में स्थित है। डिब्रूगढ़ से सुबह 10 बजे निकलने पर हम 4 बजे तक काजीरंगा नेशनल पार्क के कोहोरा रेंज पहुँच चुके थे जहाँ एक रेस्ट हाउस में हमारे ठहरने की व्यवस्था थी। रेस्ट हाउस के माध्यम से हमने सुबह 6 से 7 बजे के लिए कोहोरा रेंज से एलिफ़ेंट सफारी के लिए बुकिंग की। उसी दिन के लिए हमने बागोरी रेंज से जीप सफारी के लिए 10 बजे से 12 बजे के लिए बुकिंग की ।

 

काजीरंगा का एक संरक्षित क्षेत्र के रूप में इतिहास वर्ष 1904 से प्रारंभ होता  है, जब मेरी कर्ज़न, जो तत्कालीन भारत के वायसराय लॉर्ड कर्ज़न की पत्नी थीं, ने क्षेत्र का दौरा किया। जिस वजह से काजीरंगा प्रसिद्ध था, वह एक सिंगल-हॉर्न गैंडा नहीं देख सकी, तब उन्होने अपने पति को नष्ट होते हुए प्रजातियों की सुरक्षा के लिए तत्काल उपाय करने के लिए प्रेरित किया, जिसके उपरांत लॉर्ड कर्ज़न ने सिंगल-हॉर्न राइनो की सुरक्षा के लिए योजना आरंभ की। 1 जून 1905 को, 232 वर्ग किमी (90 वर्ग मील) के क्षेत्र के साथ काजीरंगा प्रस्तावित अनुरक्षित वन क्षेत्र बनाया गया। वर्ष 1968 के असम नेशनल पार्क अधिनियम के प्रावधान के साथ वर्ष 1974 में इसे राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया। वर्ष 1985 में काजीरंगा को यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया। वर्तमान में काजीरंगा राष्ट्रीय वन उद्यान का क्षेत्रफल 919.49 वर्ग किलोमीटर है एवं काजीरंगा बाघ रिजर्व अभयारण्य का क्षेत्रफल 1307.49 वर्ग किलोमीटर है।

 

काजीरंगा राष्ट्रीय वन उद्यान उष्णकटिबंधीय जलवायु का अनुभव करता है; इसलिए वन्यजीवन दर्शन के लिए सबसे अच्छा समय नवंबर से अप्रैल के बीच होता है। मानसून के मौसम में यहाँ जाने से बचना चाहिए क्योंकि ब्रह्मपुत्र नदी का पानी वन को बाढ़ से भर देता है। यह पार्क दर्शकों के लिए 1 मई से 31 अक्टूबर तक बंद रहता है। यह एक संरक्षित क्षेत्र है जो प्राकृतिक सौंदर्य और वनस्पति-जीव विविधता से समृद्ध है। काजीरंगा नेशनल पार्क को चार पर्यटन क्षेत्रों में विभाजित किया गया है जो मध्य ज़ोन या कोहोरा ज़ोन, पश्चिमी ज़ोन या बागोरी ज़ोन, पूर्वी ज़ोन या आगरटोली ज़ोन और बुरापहार ज़ोन हैं। जीप सफारी हर क्षेत्र में आयोजित की जाती है जबकि हाथी सफारी केवल मध्य ज़ोन और पश्चिमी ज़ोन में आयोजित की जाती है।

 

कोहोरा क्षेत्र वन विभाग के सौजन्य से लगभग 20 हाथियों पर पर्यटकों की सफारी एक साथ शुरू होती है जो वन उद्यान का विहंगम दृश्य दिखाती है। एलिफ़ेंट सफारी एक घंटे तक एवं जीप सफारी लगभग 2 घंटे तक होती है। वन उद्यान के भीतर के कच्चे रेतीले रास्तों, दलदली भूमि एवं घास के विस्तृत मैदानों मे अनेक जानवर विचरण करते हुए देखे जा सकते हैं।

 

काजीरंगा वन उद्यान 35 स्तनधारी प्राणी जातियों के लिए महत्वपूर्ण प्रजनन स्थान है, जिनमें से 15 को IUCN की रेड डाटा बुक के अनुसार संकट ग्रस्त प्रजाति (threatened species) में रखा गया है । पार्क की विशेषता है कि यह भारतीय गैंडे (संख्या 2613) जंगली भैंसे और ईस्टर्न स्वांप हिरण की दुनिया की सबसे बड़ी जनसंख्या का प्राकृतिक आवास है। समय के साथ, काजीरंगा में बाघ की जनसंख्या भी बढ़ी है, और यही कारण है कि काजीरंगा को 2007 में टाइगर अभ्यारण्य के रूप में भी घोषित किया गया।

 

बड़े शाकाहारी जानवर जैसे भारतीय हाथी, गौर, सांभर इत्यादि यहाँ बहुतायत में निवास करते हैं । भारतीय गैंडा, रॉयल बंगाल टाइगर, एशियन हाथी, जंगली भैंसा और स्वांप हिरण को सामूहिक रूप से ‘काजीरंगा के बड़े पाँच जन्तु समूह के रूप में जाना जाता है। वन क्षेत्र में प्राकृतिक झीलों की संख्या भी बहुतायत में है जिनमें विभिन्न पक्षियों की 478 प्रजातियां पायी जाती हैं जिनमें से 25 प्रजाति संकट ग्रस्त श्रेणी की हैं ।

 

एलिफ़ेंट सफारी एवं जीप सफारी से विभिन्न जन्तु समूहों को उनके प्राकृतिक आवास क्षेत्र में विचरण करते हुए देखा जा सकता है । वैसे तो दोनों सफारी का अनुभव रोमांचकारी है अपितु एलिफ़ेंट सफारी का रोमांच विशेष रूप से अनुभव करने योग्य है ।

विशाल शर्मा
 समूह वरिष्ठ प्रबंधक (पर्यावरण)