यह हर्ष की बात है कि पर्यावरण विभाग के ब्लॉग का विधिवत प्रारंभ, निगम के अध्यक्ष एवं प्रबन्ध निदेशक श्री बलराज जोशी के द्वारा दिनांक 28/02/2019 को वार्षिक पर्यावरण बैठक के दौरान किया गया। इस अवसर पर उन्होंने यह अपेक्षा की है कि ब्लॉग के माध्यम से निगम द्वारा पर्यावरण के क्षेत्र में किए जा रहे कार्यों की जानकारियों को व्यापक स्तर पर पहुँचाया जा सकेगा। ब्लॉग जैसा शक्तिशाली सोशल माध्यम एनएचपीसी एवं इसके अन्य हितधारकों से सीधा संवाद स्थापित करने में सक्षम है।

 

पर्यावरण संरक्षण के लिए एनएचपीसी की प्रतिबद्धता इस बात से सुनिश्चित होती है कि वर्ष में एक बार निगम मुख्यालय/ क्षेत्रीय कार्यालय/ परियोजनाओं/ पावरस्टेशनों मे पदस्थ सभी पर्यावरण अधिकारी एकत्रित हो कर अपने कार्यानुभव ही साझा नहीं करते अपितु उन्हें विषय विशेषज्ञों के अनुभवों का लाभ भी प्राप्त होता है। यह हर्ष का विषय था कि इस वर्ष भी दिनांक 28 फरवरी से 1 मार्च, 2019 के मध्य पर्यावरण अधिकारियों की वार्षिक बैठक सम्पन्न हुई जिसमें एनएचपीसी के अतिरिक्त एनएचडीसी तथा सीवीपीपी से आए पर्यावरण अधिकारियों ने भी प्रतिभागिता की।

 

पर्यावरण का संरक्षण छोटी-छोटी गतिविधियों से भी सुनिश्चित किया जा सकता है। उदाहरण के लिए पर्यावरण अधिकारियों की बैठक में आगंतुक अतिथियों और वक्ताओं का स्वागत पौधा प्रदान कर किया गया। धरती की हरियाली बढ़ाने के लिए बूंद-बूंद की पहल ही सागर भर सकती है। कार्यक्रम के अवसर पर अतिथियों को “सॉन्ग ऑफ़ इंडिया” नामक पौधा प्रदान किया गयाI इस चर्चित पौधे की चालीस से अधिक प्रजातियाँ विद्यमान हैं। यह एक लोकप्रिय सजावटी पौधा है जिसका वैज्ञानिक नाम ड्रैकैना रिफ्लेक्सा हैI यह एक अत्यंत प्रभावशाली घरेलू वायु शोधक पौधा भी माना जाता है जो हानिकारक तत्वों को 24 घंटों में अवशोषित कर 87 %  तक वातावरण शुद्ध बना देता है। इतना ही नहीं, यह पौधा ग्रहण किए गए जल का 97% वापस मुक्त कर घर के अंदरूनी वातावरण की नमी को बढ़ाता है जिससे श्वांस की तकलीफ में राहत मिलती है। कथनाशय यह है कि एक पौधे का रोपण और संरक्षण भी पर्यावरण के संवर्धन में बड़ा कदम होता है। हरियाली बढ़ायें और हरियाली फैलायें। यह भी जोड़ना प्रासंगिक होगा कि इस वर्ष विश्व पर्यावरण दिवस “प्लास्टिक प्रदूषण को परास्त करें” के सूत्र वाक्य पर केंद्रित था। इसे ध्यान मे रख कर वार्षिक पर्यावरण बैठक में सभी प्रतिभागियों एवं आमंत्रित अतिथियों को जूट के बने बैग प्रदान किए गये थे जिनपर लिखवाया गया था – “BEAT PLASTIC POLLUTION – IF YOU CAN’T REUSE IT, REFUSE IT”

 

होली का त्यौहार निकट है। प्रत्येक भारतीय त्यौहार हमें सौहार्द का संदेश प्रदान करते हैं। संभव हो तो होली में रासायनिक रंगों से बचाव करें। यह समय प्रकृति के उत्सव का है, वसंत की ऋतु है। पलाश-अमलताश से परिवेश रंग-बिरंगा है और इन फूलों से बनने वाले गुलाल न तो त्वचा को हानि पहुंचायेंगे न ही पर्यावरण को कोई नुकसान। पानी की बचत भी आवश्यक है क्योंकि जल से ही जीवन है। होली खेलने हेतु पानी में जब रंग मिलायें तो यह ध्यान में रखें कि वह रासायनिक न हो। सभी को होली की हार्दिक शुभकामनायें।

अरुण कुमार मिश्रा

कार्यपालक निदेशक (पर्यावरण एवं विविधता प्रबंधन)