दीपपर्व की मैं एनएचपीसी परिवार, सभी हितधारकों तथा इस ब्लॉग के सभी पाठकों को हार्दिक शुभकामना प्रदान करता हूँ।
भारतीय संस्कृति का सबसे प्रमुख आयाम है जोड़ना। यही दीपावली पर्व भी परिलक्षित करता है। ‘दीप’ अर्थात प्रकाशमान दीपक और ‘आवली’ का अर्थ होता है ‘पंक्ति’। प्रकाश और पंक्ति दोनों ही ऐसे प्रतीक हैं जो राष्ट्रनिर्माण की प्रक्रिया मे लोक-भागीदारी को सुनिश्चित करते हैं। अमावस्या को मनाया जाने वाला यह पर्व प्रतीक है कि अंधेरा कितना ही गहरा हो छोटे छोटे दीपकों की पाँति इससे लड़ने मे सक्षम है हमें केवल एकजुट होना है, दीप से दीप जलाना है। यही कारण है कि दीपावली का पर्व हमें कर्मठता का संदेश देने मे भी समर्थ है जैसा कि पूर्व प्रधानमंत्री और कवि श्री अटल बिहारी बाजपेयी की कविता की पंक्तियाँ भी हैं –
हम पड़ाव को समझे मंज़िल,
लक्ष्य हुआ आँखों से ओझल,
वतर्मान के मोहजाल में,
आने वाला कल न भुलाएँ;
आओ फिर से दिया जलाएँ।
जल से विद्युत का निर्माण करते हुए एनएचपीसी इस देश को प्रकाशमान और गतिशील करने में अपनी पूरी क्षमता और निष्ठा से लगी हुई है। हमें इस बात का गर्व है कि आज जब देश का कोना- कोना और गाँव-गाँव सम्पूर्ण विद्युतीकरण के लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा मे अग्रसर है तो इस कार्य में हमारी संस्था द्वारा किया गया महत्वपूर्ण योगदान भी एक महत्व रखता है। विद्युत है तो प्रगति का प्रकाश है, इसलिए हम गर्व के साथ यह मानते हैं कि हमारा उद्यम, प्रत्येक दिवस को दीपावली की तरह मनाने के लिए है।
पुनश्च हार्दिक शुभकामनाएँ।
(वी. आर. श्रीवास्तव)
कार्यपालक निदेशक
पर्यावरण एवं विविधता प्रबंधन विभाग
Image source: https://www.bbcgoodfood.com/howto/guide/what-is-diwali-and-how-is-it-celebrated
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